वर-वधू को आशीर्वाद (गीत)


वर-वधू को आशीर्वाद (गीत)


सदा सुखी सम्पन्न हो जोडी अजर अमर।


बने प्रेम का धाम स्वर्ग सा इनका घर।।


प्रण किये विवाह में जो भी, निष्ठा से उनको पालें।


दुखियों के बनें सहारे दीनों को भी अपनालें।


चलें सेवक बनकर॥१॥      बने प्रेम का धाम।।


पत्नी निज स्वामी ऊपर, करदे सर्वस्व निछावर।


पति मान करे पत्नी का समझे प्राणों से बढ़कर।


प्रेम से रहें मिलकर॥२॥      बने प्रेम का धाम0


फूलों से हों मुस्काते मुख में हो मिश्री घोली।


आपस में निशदिन बोलें, कोयल सी मीठी बोली।


मधुर हो प्यारा स्वर॥३॥      बने प्रेम का धाम।।


दुर्गुण हों जो भी उनको, दें दबा पूर्ण निज बल से।


सब काम 'विजय' हों सीधे रहे दूर कपट और छल से।।


करें निज ऊँचा सर॥४॥       बने प्रेम का धाम0 ।।


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं