आदर्श आर्य परिवार
आदर्श आर्य परिवार
वही आदर्श आर्य परिवार !
वेद-वाटिका में नित खिलते अभिनव सुमन विचार।।
पञ्च यज्ञ का पूर्ण प्रेम से होता सविधि विधान,
सन्ध्या श्रद्धा सहित सदा हो प्रभु गुण महिमा गान-
हवन से हो सुरभित गृह-द्वार।वही0
'मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन्' का हो आदर्श महान्,
रहें प्रेम से राम व लक्ष्मण भाई भरत समान-
उमंग का उमड़े उदधि अपार।। वही0
हो सुशील शुचि आज्ञाकारी जहाँ गुणी सन्तान,
माता-पिता की सेवा में रत 'श्रवणकुमार' समान-
करे कुल का अभिनव उद्धार।। वही0
हो धन-धान्य धर्म से अर्जित देश जाति के हेतु,
होवे षोड़स संस्कारों से सज्जित जीवन-सेतु-
सूर्य सम चमकें आर्य उदार।वही0.
पति-पत्नी में प्रेम रहे नित, हो गृहस्थ सुखधाम,
शिशु-गण शशिसम करें किलोलें लीला-ललित ललाम|
स्वर्ग सम बने आर आगार।। वही0