आर्य, आर्यावर्त्त देश के विषय में महर्षि दयानन्द का दृष्टिकोण
आर्य, आर्यावर्त्त देश के विषय में महर्षि दयानन्द का दृष्टिकोण
प्रश्न-आदि सृष्टि में एक जाति थी वा अनेक?
उत्तर-एक मनुष्य जाति थी। पश्चात् 'विजानीह्यार्यान् ये च दस्यवः।
यह ऋग्वेद का वचन है। श्रेष्ठों का नाम आर्य, विद्वान् देव और दुष्टों के दस्यु अर्थात् डाकू, मूर्ख नाम होने से आर्य और दस्यु दो नाम हुए।
'उत शूद्र उत आर्ये'।
आर्यों में पूर्वोक्त प्रकार से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र चार भेद हुए। द्विज विद्वानों का नाम आर्य और मूर्यो का नाम शूद्र और अनार्य, अर्थात् अनाड़ी नाम हुआ।
प्रश्न-फिर वे यहाँ कैसे आये?
उत्तर-जब आर्य और दस्युओं में अर्थात् विद्वान् जो देव अविद्वान् जो असुर, उनमें सदा लड़ाई-बखेड़ा हुआ किया, जब बहुत उपद्रव होने लगा तब आर्य लोग सब भूगोल में उत्तम इस भूमि के खण्ड को जानकर यहीं आकर बसे इसी से इस देश का नाम 'आर्यावर्त्त' हुआ।