ब्रह्मचारी/आचार्य किसको कहते हैं
प्र.) ब्रह्मचारी किसको कहते हैं?
उ.) जो जितेन्द्रिय होके ब्रह्म अर्थात् वेद विद्या के लिये तथा आचार्य कुल में जाकर विद्या ग्रहण के लिये प्रयत्न करे वह ब्रह्मचारी कहाता है।
प्र.) आचार्य किसको कहते हैं?
उ.) जो विद्यार्थियों को अत्यन्त प्रेम से धर्मयुक्त व्यवहार की शिक्षापूर्वक विद्या होने के लिये तन, मन और धन से प्रयत्न करे उसको 'आचार्य' कहते हैं|
प्र.) अपने सन्तानों के लिये माता, पिता और आचार्य क्या-क्या शिक्षा करें ?
ऊ ) मातृमान पितृमानाचार्य्यवान पुरुषो वेद।। शतपथब्राह्मण।।
उस मनुष्य का है कि जिसका जन्म धार्मिक विद्वान और आचार्य के सम्बन्ध में हो। क्योंकि इन तीनों ही की शिक्षा से मना होता है। ये अपने सन्तान और विद्यार्थियों को अच्छी भाषा बोलने बैठने-उठने, वस्त्रधारण करने, माता-पिता आदि के मान्य करने, उनके यथेष्टाचारी न होने, विरुद्ध चेष्टा न करने आदि के लिये प्रयत्नों से उपदेश किया करें और जैसा-जैसा उसका सामर्थ्य बढ़ता जाय वैसी-वैरी वातें सिखलाते जायें। इसी प्रकार लड़के और लड़कियों की पांच वा आ की अवस्था पर्यन्त माता-पिता और इनके उपरान्त आचार्य की शिक्षा होने चाहिये |