चाणक्य नीति और आर्य शब्द
चाणक्य नीति और आर्य शब्द
अभ्यासाद् धार्यते विद्या, कुलं शीलेन धार्यते।
गुणेन ज्ञायते त्वार्यः, कोपो नेत्रेण गम्यते।।
अर्थात् सतत अभ्यास से विद्या प्राप्त की जाती है। कुल उत्तम गुण-कर्म-स्वभाव से स्थिर होता है, आर्य= श्रेष्ठ मनुष्य गुणों के द्वारा जाना जाता है और क्रोध नेत्रों से जाना जाता है।