दयानन्द की बल परीक्षा
दयानन्द की बल परीक्षा (महर्षि दयानन्द सरस्वती)
जहांगीराबाद (जि. बुलन्दशहर) निवासी प्रोङ्कार दास जोश्क व्यायामशील पहलवान था, स्वामीजी के उपदेश सुनकर उनका भक्त बन गया। एक दिन उसके मन में स्वामीजी के शारीरिक बल की परीक्षा करने की तरंग उठी और उसने स्वामीजी से चरण दबाने की प्राज्ञा माँगी । स्वामीजी ने कहा हमारे चरण तो दबे दबाये हैं, परन्तु वह न माना । चरण दबाते हुए उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि उनके पैर लोहे की लाट हैं। पूरा बल लगाने पर भी उनमें अंगुलियाँ नहीं धंसी, अन्त में वह पसीना पसीना हो गया और थक कर बैठ रहा।