पत्नी में क्षमा, पति में तेजस्विता
पत्नी में क्षमा, पति में तेजस्विता
पाणिग्रहण के मन्त्रों के साथ अन्तिम परिक्रमा मन्त्र में एक सुन्दर रुपक अंलकार है। यहाँ नारी की तुलना पृथ्वी से और पुरुष की सूर्य से की गई है। अर्थात् नारी या पत्नी सहिष्णु और क्षमाशील है। पत्नीत्व की सफलता सहिष्णुता और क्षमाशीलता में है। मृदुता, परसता, कोमलता, लज्जा और वाणी-माधुर्य में नारी जीवन की सफलता है जबकि पुरुष में विषमताओं से जूझने की क्षमता और ऊठिनाइयों से टकराने की सूर्य के समान तेजस्विता हो।