ऋतु के अनुशार हवन सामग्री

ऋतु के अनुसार हनन सामग्री


          प्रत्येक ऋतु के लिए पृथक् २ होम सामग्री विशेष उपयोगी है। कहीं २ हवन सामग्री के बनाने में बड़ी असावधानता की जाती है । पन्सारी लोग जैसे गले सड़े द्रव्य देते हैं उन्हीं को - सामग्री बनाकर होम दिया जाता है। होम धार्मिक कृत्य है, . उसको श्रद्धा और सावधानता पूर्वक करना चाहिए। 

         दृष्टव्य - मिष्ठादि चार प्रकार के द्रव्यों में से ऋतुओं के अनु.-सार निम्न पदार्थों को लेकर शुद्ध सामग्री हर ऋतु में बनायें । 

                                  वसन्त-चैत्र वैसाख

        छरीला, तालस पत्र, पत्रज, दाल, लज्जावन्ती, शीतलचीनी, कपूर, चीड़, देवदार, गिलोय, अगर, तगर, केशर, इन्द्रजौ, गुग्गुल, कस्तुरी, तीनों चन्दन, जावित्री, जायफल, धूप- सरसों, पुष्कर, मूल, कमल गट्ठा, मजीठ, वनकचर, दालचीनी, गूलर की छाल,तेजपत्र, शंखपुष्पी,चिरायता, खश, गोखरू,खाँड़, गोघृत, ऋतुफल, भात या मोहन भोग, जाड़ की समिधा।

                             गोघृत". ग्रीष्म-ज्येष्ठ, आषाढ़   

              मुरा, वायविरङ्ग, कपुर, चिरौंजी, नागरमोथा, पीलाचन्दन, छरीला, निर्मली, शतावर, खश, गिलोय, धूप, दालचीनी, लवंग कस्तुरी, चन्दन, तगर, भोजपत्र, भात, 'कुशा की जड़, तालीस पत्र, पद्माख, दारू हल्दी, लालचन्दन, मजीठ, शिलारस. केशर, जटामांसी, नेत्रवाला, इलायची बड़ी,उन्नाव, 'आँवले, नूग के लड्डू, ऋतुफल, चन्दन चूरा।.. १.

                             वर्षा--श्रावण, भाद्रपद

           काला अगर, पीला अगर, जौ, चीड़, धूप, सरसों, तगर, देवदारू, गुग्गुल, नकछिकनी, राल, जायफल, मुण्डी, गोला, निर्मली कस्तूरी, मखाने, तेजपत्न, कपूर, वनकूचर, बेल, जटामांसी, छोटी इलायची, बच, गिलोय, तुलसी के बीज, वाय -विरङ्ग, कमलमुण्डी, शहद चन्दन श्वेत का चूरा, ऋत नागकेशर, ब्राह्मी, चिरायता, उड़द के लड्डू', आरे,शंका मोचरस, विष्णुकान्ता, ढाक की समिधा, गोघृत, खाँड़, भीत

                             शरद-आश्विन, कार्तिक

               शरद-आश्विनचन्दन सफेद, चन्दन लाल, चन्दन पीला,गुग्गुल, नागकेशर इलायची बड़ी, गिलोय, चिरौंजी, विदारीकन्द, गूलर की छाल ब्राह्मी, दालचीनी, कपूरकचरी, मोचरस, पित्तपापड़ा, अगर भारङ्गी, इन्द्रजौ, रेणुका, मुनक्का, असगन्ध, शीतलचीनी,जायफल, पत्रज, चिरायता, केसर, कस्तूरी, किशमिश, खाँड़, जटामांसी, तालमखाना, सहदेवी, ढाक की समिधा, धान की खील, खीर, विष्णु कान्ता, कपूर, गोवृत, ऋतुफल __

                             हेमन्त--मार्गशीर्ष, पौष

             कुट, मुसली, गन्धको किला, मुडवाच्छ, पित्तपापड़ा, कपूरकचरी, नकछिकनी, गिलोय, पटोलपत्र, दालचीनी, भारंगी, सौंफ, मुनक्का, कस्तूरी, चीड़, गुग्गुल, अखरोट, रासना, शहद, पुष्कर मूल, केशर, छुआरे, गोखरू, कौंच के बीज, काँटेदार गिलोय; पर्पटी, बादाम, मुलहठी, काले तिल, जावित्री, लाल चन्दन, मुश्कवाला जावित्री तालीसपत्र, रेणुका, खोया, बिना नमक की खिचड़ी, आम या खैर की समिधा, गोघृत, देवदारु। .

                                 शिशिर-माघ, फाल्गुन .

              अखरोट, कपूर, वायविरङ्ग, राल, मुण्डी, मोचरस,गिलोय, मुनक्का, रेणुका, काले तिल, कस्तूरी, केसर, चन्दन, चिरायता, छुआरे, तुलसी के बीज, गुग्गुल, चिरोंजी, काकड़ासिंगी, खाँड़, शतावर, दारूहल्दी, शंखपुष्पी, पद्माख, कौंच के बीज. जटामांसी, भोजपत्र, गूलर या बड़ की समिधा, मोहनभोग । 

          यज्ञ-पात्र-विशेष कर चाँदी. ताँबे वा काष्ठ के पात्र होने चाहिए। उनमें से मुख्य पात्र निम्नलिखित हैं

        

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