स्वर्ग नरक की विचित्र कल्पना
स्वर्ग नरक की विचित्र कल्पना
स्वर्ग ! कहाँ है स्वर्ग ? क्या सातवें या चौथे आसमान पर या फिर गोलोक धाम या बैकुण्ठ धाम आदि किसी स्थान विशेष में ? अधिकांश मत मजहब इस संसार से अलग किसी स्थान विशेष को स्वर्ग मानते हैं। उनका कहना है कि स्वर्ग एक ऐसा स्थान है जहाँ मरने के बाद प्राणियों को नाना प्रकार के सुख भोग प्रचुर मात्रा में मिलते हैंवहाँ दूध-दही की नदियाँ बहती हैं, शहद के कुण्ड हैं वहाँ, सुन्दर अप्सरायें (मुसलमानी मत के अनुसार ७० हूरें और ७२ गुलाम मिलते हैं, वहाँ) अपार विलास क्रीड़ा होने पर भी किसी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता है 'स्वर्ग में' ऐसा होता है स्वर्ग। नरक भी इन मतवादियों की दृष्टि में एक स्थान विशेष है जहाँ मरने के बाद लोग अनेक विध दु:ख और यातनायें भोगते हैं |
वैदिक स्वर्ग, स्वर्ग की इस कल्पना से भिन्न है। (१) प्रथम तो वैदिक स्वर्ग किसी स्थान विशेष का नहीं, अवस्था विशेष का नाम है (२) दूसरे वैदिक स्वर्ग इस संसार से बाहर और मृत्यु के पश्चात् नहीं इसी संसार और इसी जीवन में मिल सकता है |
दुख की सामग्री जुटे, भोगे दुःख विशेष।
'नरक' नाम इसी का, नहीं नरक कोई देश॥
सामग्री दुख की मिले अरु सुख मिले विशेष।
'स्वर्ग' नाम है इसी का पृथक् नहीं कोई देश॥