वाल्मीकि रामायण
वाल्मीकि रामायण
कैकेयी ने जब श्रीराम को वनवास भेजने की माँग की तो राजा दशरथ ने उसके लिए 'अनार्या' शब्द का अनेक बार रामायण के अनुसार प्रयोग किया। यथा-
(क) मृते मयि गते रामे, वनं मनुजपुङ्गवे।
हन्तानार्ये ममामित्रे सकामा सुखिनी भव॥
-अयोध्याकाण्ड
स्वयं वाल्मीकि ने भी कैकेयी की इस अनार्योचित बुरी माँग के लिए उसे अनार्या कहा है-
(ख) तदप्रियमनार्याया वचनं दारुणोपमम्।
श्रुत्वा गतव्ययो रामः, कैकेयीं वाक्यमब्रवीत्॥
-अयोध्याकाण्ड
प्रारम्भ में श्रीराम के उत्तम गुणों का वर्णन करते हुए वाल्मीकि रामायण में नारद मुनि ने कहा है।
(ग) सर्वदाभिगतः सद्भिः समुद्र इव सिन्धुभिः।
आर्यः सर्वसमश्चैव सदैव प्रियदर्शनः॥
-बालकाण्ड
अर्थात् श्रीराम आर्य, धर्मात्मा, सदाचारी, सबको समान दृष्टिसे देखनेवाले और चन्द्र की तरह प्रिय दर्शनवाले थे।