बदसूरत होते पारिवारिक रिश्ते
बिलकुल नया जमाना है लोग पत्र-पत्रिकाओं और किताबों की दुनिया से निकलकर इंटरनेट की रहस्यमयी दुनिया में प्रवेश कर चुके है। ऐसे में एक से ज्यादा साथी रखने का रुझान अब सीमित दायरे में नहीं रहा है। बल्कि लोग आज ऐसे रिश्तों को आजमा कर देख रहे हैं जिनको अब तक सामाजिक रूप से गलत समझा जाता था। देखा जाये तो इंटरनेट की अत्याधुनिक दुनिया में आजकल कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले लोगों को भी आधुनिकता से जोड़ा जा रहा हैं, किन्तु इन आधुनिक रिश्तों के जो परिणाम सामने आ रहे है वो वाकई में सोचने वाले है कि आखिर हमारा समाज जा कहाँ रहा है!
अभी कई रोज पहले महाराष्ट्र के बल्लारपुर में कॉलेज में पढ़ाने वाले ऋषिकांत नाम के एक शख्स ने अपनी दो नाबालिग बेटियों को फांसी पर लटकाकर जान से मार डाला। इसकी तस्वीर अपनी पत्नी प्रगति को व्हाट्सएप करने के बाद उसने खुद भी आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार ऋषिकांत अपनी पत्नी प्रगति की बेवफाई से परेशान था। दूसरा मामला बिहार के कंकड़बाग थाना क्षेत्र का है यहाँ एक बाप अपनी मासूम बच्ची को इसलिए शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देता था, क्योंकि उसकी पत्नी उसे छोड़कर किसी दूसरे के साथ चली गई थी।
एक और मामला महाराष्ट्र के ठाणे जिले का कुछ समय पहले का है। यहाँ एक शख्स ने अपनी पत्नी को चाकू से बेरहमी से मार डाला था। घटना के वक्त उसकी पत्नी अपने ऑफिस में काम कर रही थी, पति चाकू लेकर उसके ऑफिस में पहुंचा और पत्नी पर एक बाद एक 26 वार कर डाले। कारण यह शख्स अपनी पत्नी पर शक करता था। पिछले साल मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक खोफनाक घटना ने तब सबके रौंगटे खड़े कर दिए थे जब एक पति ने अपनी पत्नी के चरित्र पर शक के चलते पत्नी की गर्दन काट कर थाने ले गया था।
सभी जगह सिर्फ महिलाएं ही इन अवैध सम्बन्धों या शक का शिकार है नहीं हैं। पिछले वर्ष फरवरी माह में ओडिशा के नबरंगपुर जिले में अवैध संबंध के शक में एक महिला ने अपने पति का प्राइवेट पार्ट काट दिया था। यहाँ महिला को अपने पति पर शक था कि उसके किसी अन्य महिला के साथ अवैध संबंध हैं। यहीं नहीं पिछले एक साल में इस तरह की दर्जनों शिकायतें महिला थानों पहुंची है। जिनमें कहा गया है कि मेरे पति मेरी जासूसी कराते हैं। घर में मेरा मोबाइल चेक होता हैं। मैं फेसबुक और व्हाट्स एप पर किससे क्या चैटिंग कर रही हूं। इसकी पूरी डिटेल पति रखते हैं, साथ ही घर आने के बाद ऑफिस से आने वाले फोन पर मेरे पति शक की नजर से देखते हैं।
असल में एक से ज्यादा साथी की चाह और फेसबुक, व्हाट्सएप्प पर चैटिंग का शौक आए दिन पति-पत्नी के रिश्तों में दरार डाल रहा है। चैटिंग के चलते आए दिन पति और पत्नी के बीच शक गहरा रहा है। शक के बाद कई जगह रिश्ते टूट रहे है तो कई जगह हत्या हिंसा तक भी पहुँच रहे है। यानि अभी तक पति और पत्नी के बीच भावनाओं और विश्वास का जो मजबूत सेतु हुआ करता था आज अविश्वास और बेपरवाह होते रिश्तों ने उस सेतु को कमजोर कर दिया है।
कुछ सालों पहले तक ऐसी घटनाएँ पश्चिमी देशों में देखने को मिलती थी। एक से ज्यादा साथी रखने का प्रचलन उनकी सामाजिक दुनिया हिस्सा था। जबकि हमारे यहाँ पति-पत्नी को एक दूसरे के भरोसे प्रेम और एक दूसरे की आपसी स्वीकार्यता को बढ़ावा देने वाला रहा हैं। किन्तु जैसे-जैसे टेक्नोलोजी का विस्तार हो रहा है ऐसे-ऐसे हमारे यहाँ भी सात फेरे और सात वचन से बंधे पवित्र रिश्तों में आज बिखराव, पतन, अपराध, हत्या, आत्महत्या आदि बड़ी तेजी से पांव पसार रही हैं। या कहो कि सामाजिक सीमाएं और मर्यादाएं खोखली होकर बिखरती नजर आ रही हैं। देखा जाये आपसी संवाद स्थापित करने का साधन स्मार्टफोन भी पति-पत्नी के रिश्ते में दूरियां लाने में कम जिम्मेदार नहीं हैं। आज परिवारों में दिन की शुरुआत फेसबुक या व्हाट्सएप्प से होती है और देर रात तक आने वाले नोटिफिकेशन जगाए रखते हैं और इस लत की कीमत रिश्तों को चुकानी पड़ रही है।
शादी के बाद अक्सर भावनाओं को न समझने के बहाने से लेकर जब दोनों अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए किसी तीसरे की तरफ आकर्षित होने लगते हैं। यानि तीसरा इन्सान उनके बीच में आता है तब वैवाहिक रिश्ते का अंत शक से शुरू हो होता है और एकल परिवार में उन्हें समझाने वालों की कमी के चलते भी हालात मारपीट, हमले और हत्या तक पहुंच जाते हैं।
शादी के बाद जहां वैवाहिक रिश्ते को बनाए रखने में पति और पत्नी दोनों की जिम्मेदारी होती है वहीं इसके खत्म करने में भी दोनों का हाथ होता है। एक दूसरे के प्रति विश्वास, समर्पण और आत्मीयता का भाव रिश्तों को मजबूत बनाता है। अगर आप आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते है तब आप उस तकनीक का सदुपयोग आपसी रिश्तों में नजदीकी लाने में करें न कि उसे रिश्तों में दूरियां बनाने का कारण बनायें। साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा बाहरी सम्बन्ध दोनों के बीच शक का आधार बनते हैं और ऐसे सम्बन्धों को न हमारा समाज स्वीकार करता न धर्म और न ही हमारा संविधान। ऐसे में पति पत्नी दोनों को एक दूसरे पर विश्वास रखना होगा और सामने वाले को उस विश्वास को मजबूत करना होगा और यह आप पर निर्भर करता है कि आपको एक हँसता खेलता खुबसूरत रिश्तों परिवार चाहिए या दुःख क्लेश और हिंसा के अंधकार में जाता एक बदसूरत रिश्तों का परिवार। यह सब सिर्फ आपको ही सोचना है क्योंकि परिवार आपका है।