कड़क चाय पी कर
कड़क चाय पी कर,
का का छि छि हो रही।
मुसलमान को जगा,
झूठे बीज बो रही।।
ममता मरी जोश में,
अभिमानी हो रही।
दंगे करवाती बड़े,
झूठे रोने रो रही।।
एक अभिमानी तू है,
एक अभिमानी वो।
वो देश हित में खड़ा,
तू करे देश द्रोह।
कड़क चाय पी कर,
का का छि छि हो रही।
मुसलमान को जगा,
झूठे बीज बो रही।।
ममता मरी जोश में,
अभिमानी हो रही।
दंगे करवाती बड़े,
झूठे रोने रो रही।।
एक अभिमानी तू है,
एक अभिमानी वो।
वो देश हित में खड़ा,
तू करे देश द्रोह।