मूर्ति पूजा से हानि और लाभ
🌀मूर्ति पूजा से हानि और लाभ।🌀
टिप्पणी
इसे इस प्रकार समझने का प्रयास करें-
प्र० मूर्ति किसे कहते हैं?
उ० जिसमें रूप, रंग व आकार आदि हो ,उसे मूर्ति कहते हैं।
प्र० मूर्ति कितने प्रकार की होती है?
उ० दो, जड़ व चेतन।
प्र० पूजा किसे कहते हैं?
उ० किसी वस्तु का सदुपयोग कर लाभ लेना "पूजा" अर्थात सत्कार कहलाता है।
प्र० जड़ मूर्ति पूजा किसे कहते हैं?
उ० घर,कार, अन्नादि की सुरक्षा करना, इनका लाभ लेना "जड़ मूर्ति पूजा" है।
पर० चेतन मूर्ति पूजा किसे कहते हैं?
उ० माता-पिता,आचार्य, अतिथि आदि की सेवा,सम्मान व आज्ञापालन कर विद्या आदि प्राप्त करना "चेतन मूर्ति पूजा" है।
प्र० ईश्वर जड़ है या चेतन?
उ० चेतन।
प्र० तो क्या ईश्वर की भी "चेतन मूर्तिवत" पूजा नहीं करनी चाहिए?
उ० नहीं, क्योंकि ईश्वर निराकार है,उसकी मूर्ति हो ही नहीं सकती।
प्र० जब चेतन माता-पिता की मूर्ति है तो चेतन ईश्वर की मूर्ति क्यों नहीं?
उ० मूर्ति शरीर की है चेतन तत्व आत्मा भी निराकार ही है।
ईश्वर चेतन और सर्वव्यापक है जो सर्वव्यापक हो वो साकार नहीं और जो साकार नहीं उसकी मूर्ति भी नहीं।
प्र० तो फिर ईश्वर की पूजा कैसे करें?
उ० जैसा ईश्वर है उसे वैसा मान,जान कर लाभ लेना ईश्वर की पूजा है।
प्र० ईश्वर कैसा है?
उ० ईश्वर सर्वज्ञ,न्यायकारी, सर्वशक्तिमान, सर्वाधार ,बल,बुद्धिदाता, आनंदस्वरूप है। इन गुणों सहित स्तुति,प्रार्थना,उपासना करना ही ईश्वर की पूजा,भक्ति या सेवा है।
प्र० ईश्वर की मूर्ति पूजा करने में क्या हानि है?
उ० निराकार की अन्य रुप में पूजा करना "अविद्या" है। और अविद्या का फल दुख होता है, ये हानि है। लाभ कोई भी नहीं होता।
ईश्वर के नाम पर जड़ मूर्ति पूजा एक महा खाई है जिसमें पड़कर व्यक्ति चकनाचूर हो जाता है और फिर सर्वश्रेष्ठ मनुष्य योनि से गिरकर पशु आदि नीच योनियों में जन्म पाता है।
प्र० फिर लोग ईश्वर के नाम पर मूर्तिपूजा क्यों करते हैं?
उ० गलत सीखने और सिखाने से
गलत पढ़ने और पढ़ाने से।
प्र० आपके पास क्या प्रमाण है कि ईश्वर की मूर्ति नहीं होती?
उ० "न तस्य प्रतिमा अस्ति।
उस ईश्वर की कोई मूर्ति नहीं।
"स पर्यगात्:.."।। वेद।।
ईश्वर सर्वव्यापक है।