नवजात शिशु के लिए अमृत : हरण का घासा 🌻*
*🌻नवजात शिशु के लिए अमृत : हरण का घासा 🌻*
आयुर्वेद में बड़ी हरण (पीली या काबली हरण) को माता की संज्ञा दी गयी है, जन्म से ले कर दो साल की उम्र तक यदि बच्चे को नियमित बड़ी हरण का घासा दिया जाए तो उसे किसी डॉक्टर की ज़रूरत नही पड़ेगी।
ये रोग प्रतिरोधक क्षमता में गजब की वृद्धि करती है, बच्चे को बुखार, जुकाम, दस्त, हैजा, पीलिया, पेट दर्द, गैस, अफारा से बचाती है।
*पंसारी से बड़ी हरण (काबली हरण) ले कर पोंछ कर साफ करके डिब्बी में रख लें, साफ पत्थर पर दो चम्मच पानी डाल कर इस हरण को 5 -7 बार ऐसे घिसें जिससे केवल हरण का छिलका ही घिसे गुठली नही, जो पेस्ट बने उसे एक चम्मच में ले कर थोड़ा पानी मिला कर बच्चे को दे दें, ऊपर से एक चम्मच सादा पानी पिला दें, यदि सर्दी का मौसम है तो पानी हल्का गुनगुना कर के दें।*
इससे बच्चा निरोगी रहेगा, बच्चे का विकास तेजी से होगा।
साधारण सर्दी, जुकाम आदि पास नही फटकेंगे।
*विशेष:*
1- यदि सर्दी लगने से बच्चे को हरी -पीली दस्त आ रही हैं तो हरण के साथ जायफल भी घिस कर मिला दें.
2- यदि पेट में अफारा, पेट दर्द, पेट फूला हो तो हरण घिसते समय इसमें 4 -5 दाने अजवाइन भी घिस दें।
3- यदि बच्चे को पखाना (पोट्टी) ज़्यादा सख्त (टाइट) आ रही है तो इस पेस्ट में 2 चम्मच पानी मिला कर दें, समस्या दूर हो जाएगी।