प्रभु-प्रसन्नता और लोक-प्रसन्नता
प्रभु-प्रसन्नता और लोक-प्रसन्नता
१-कन्या तो धरोहर (अमानत) है-पुत्र स्वत्व (मलकीयत) । बुद्धिमान् लोग धरोहर की अधिक रक्षा करते हैं-और बुद्धिहीन स्वत्व की कन्या को तो पराया माल समझकर उसके पालन-पोषण से और शिक्षण-प्रशिक्षण से उपराम (लापरवाह) रहते हैं और पुत्रों की संभाल पूरी लेते हैं जो धरोहर को संभालता है-उसकी रक्षा पूरी-पूरी करता है, उसे प्रभु की आशीर्वाद मिलती और जो पुत्र को संभालता है उसे धन और बड़ाई मिलती है-जो लोगों से सम्बन्ध रखती है। तथा जो दोनों कर्तव्यों का पालन करता है-उसे प्रभु-प्रसन्नता और लोक-प्रसन्नता दोनों प्राप्त होते हैं।