रामधारी सिंह दिनकर और आर्यसमाज
रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित "संस्कृति के चार अध्याय" में स्वामी दयानंद और आर्यसमाज द्वारा हिन्दू समाज के जनजागरण में योगदान पर दिनकर जी ने अपने विचार प्रकट किये है। लेखक ने आर्यसमाज के कार्य को खुले दिल से सराहा है। एक-दो स्थानों पर हमारी लेखक से सहमति नहीं हैं मगर ऐतिहासिक लेख होने के कारण उसे यहाँ पर प्रकाशित किया जा रहा है।