रुक्मणी विवाह भाग 5
रुक्मिणी विवाह *भाग - 5*
लेखक - स्वामी जगदीश्वरानंद सरस्वती
यह राधा वृषभानु की कन्या थी। उसने राधा का सम्बन्ध रायण वैश्य से कर दिया जो कृष्ण की माता यशोदा का भाई था। वह रायण गोलोक में तो कृष्ण का अंश था, परन्तु सम्बन्ध से कृष्ण का मामा था।
हे कृष्ण के भक्तो! जब पुराणों के अनुसार राधा कृष्ण की मामी है तो अब तो *राधा-कृष्ण* कहकर कृष्ण का उपहास मत करो।
महाभारत में भगवान कृष्ण का जीवन अनेक पहलुओ से चित्रित हुआ है, परन्तु उसमें राधा के नाम की गन्ध भी नही है। हरिवंशपुराण में कृष्ण के वंश का विस्तृत वर्णन है, उसमें भी राधा की चर्चा नही है। भासकवि कृत "बालचरित नाटक" जिसमे कृष्ण की बाल लीलाओं का चित्रण है तथा विष्णुपुराण, वायुपुराण जिनमे कृष्ण का चरित्र चित्रण है, कही भी राधा का उल्लेख नही है और तो और श्रीमद्भागवत तक में राधा का नाम नही हैं।, हां ब्रह्मवैवर्त पुराण में कृष्ण के साथ राधा की चर्चा साधारणतया की गयी है, परन्तु पीछे भक्त कवियो ने कृष्ण का जो चरित्र लिखा है, उसमें उन्होंने अपने मन के फफोले फोड़े है। यह उनकी कपोल-कल्पना है। उसका ऐतिहासिक महत्व नही हैं।
न तो कृष्ण गोपियो से व्यभिचार करते थे और न राधा के साथ उनका कोई अश्लील सम्बन्ध था, न ही उनके 16000 रानियां थी। 16000 तो परिचारिकाएँ और दासियां थी। रुक्मिणी, केवलमात्र रुक्मिणी श्रीकृष्ण की धर्मपत्नी थी। वही उनकी गृहलक्ष्मी और हृदयेश्वरी थी।
*समाप्त*