वेदों में मूर्ति पूजा नहीं है ,नहीं है ,नहीं है,
*आर्यावर्त देश का महादुर्भाग्य है कि यहां अशिक्षित लोग ही नहीं बल्कि शिक्षित, अल्पशिक्षित और सुशिक्षित लोग भी देश की धर्म और संस्कृति से परिचित नहीं है और अविद्या, अज्ञानता और भेड़चाल में "मूर्तिपूजा और अवतारवाद" जैसी मिथ्या और वेदविरूद अवधारणाओं, कर्मकांडों और आडंबरों द्वारा सनातन धर्म का सर्वनाश करने पर तुले हुए हैं। मनुष्य तो मनुष्य, जीव जन्तुओं को भी अवतार मानकर निराकार ईश्वर का उपहास बना रहे हैं जबकि वेदों में मूर्तिपूजा और अवतारवाद का कोई विधान नहीं है, एकेश्वरवाद का ही वर्णन करते हुए उसी की उपासना करने का उपदेश दिया गया है।*