यह कौन चित्रकार है?

यह कौन चित्रकार है?

संसार कि अदभुत सुंदरता को देखो। पृथ्वी,आकाश, भूमण्डल, सूर्य, चन्द्रमा, गृह, पर्वत, नदियाँ से लेकर विभिन्न पशु,पक्षी, चिड़िया आदि हमें किसका स्मरण करा रहे हैं? एक ही सत्ता का जिसे हम ईश्वर के नाम से जानते हैं। उन ईश्वर का एक नाम "विश्वकर्मा" भी है। ईश्वर को विश्वकर्मा इसलिए कहा गया है क्यूंकि केवल ईश्वर में वह सामर्थ्य हैं कि वह विश्व के समस्त पदार्थों को प्रलय में अपने अंदर अव्यक्त रूप कर देता है। वही ईश्वर "जनक" के नाम से भी जाना जाता है क्यूंकि आश्रयदाता के कर्तव्य का पालन करते हुए वह ईश्वर पुन: जगत को अव्यक्तरूप से व्यक्त रूप में स्थापित करता हैं। सभी जीवों को शरीर धारण कराता हैं। न प्रकृति, न जीव उसके शासन का विरोध कर सकते हैं। यह सृष्टि की रचना और प्रलय,यह जीव का जन्म-मरण सब उसी के अधीन हैं। इसीलिए उस विश्वकर्मा जनक परमात्मा की इस कृपा की महता को समझते हुए उसकी महिमा का गान अवश्य करना चाहिये। इस जगत के पदार्थों का भोग करते हुए उसे बनाने वाले महान चित्रकार, महान अधिष्ठाता को कभी नहीं भूलना चाहिये। ईश्वर की उपासना में अपना कल्याण समझना चाहिये और मानव जीवन को सफल बनाना चाहिये।

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