आर्य समाज का अर्थ
स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धान्तों को व्यावहारिकता देने, अपने धर्म को फैलाने तथा भारत व विश्व को जाग्रत करने के लिए जिस संस्था की स्थापना की उसे 'आर्य समाज' कहते हैं। 'आर्य' का अर्थ है भद्र एवं 'समाज' का अर्थ है सभा। अत: आर्य समाज का अर्थ है 'भद्रजनों का समाज' या 'भद्रसभा'। आर्य प्राचीन भारत का प्रेमपूर्ण एवं धार्मिक नाम है जो भद्र पुरुषों के लिए प्रयोग में आता था। स्वामी जी ने देशभक्ति की भावना जगाने के लिए यह नाम चुना। यह धार्मिक से भी अधिक सामाजिक एवं राजनीतिक महत्त्व रखता है इस प्रकार यह अन्य धार्मिक एवं सुधारवादी संस्थाओं से भिन्नता रखता है, जैसे –ब्रह्मसमाज (ईश्वर का समाज), प्रार्थना समाज आदि ।