धर्मनिरपेक्ष नेताओं मुंह पर फिर थप्पड़
भले धर्म की यात्रा दिल से शुरू होकर लोककल्याण करते हुए भगवान के पास तक जाती हो परन्तु देखा जाये पाकिस्तान में इस्लाम मजहब की यात्रा अपनी संख्या बढ़ाने से लेकर धर्मांतरण तक जाती है। कथन को बल देती यह खबर किसी विस्फोट से कम नहीं है कि पाकिस्तान में दो नाबालिग हिंदू लड़कियों का पहले अपहरण किया गया और फिर इसके बाद उनका जबरन इस्लाम में धर्मपरिवर्तन कराया गया। सिंध प्रांत के घोटकी जिले के दहारकी गाँव से होली के दिन दो सगी बहनों के हुए इस अपहरण और जबरन धर्मपरिवर्तन के विरोध में यूँ तो पाकिस्तान में हिंदू समुदाय ने धरना प्रदर्शन किया लेकिन होना क्या है वही ढाक के तीन पात। बहुत कम संख्या में बचे पाकिस्तानी हिन्दू समुदाय को एक बार फिर आश्वासन दे दिया जायेगा और हमेशा की तरह यह मामला भी शांत कर दिया जायेगा।
दोनो सगी बहनें रीना 14 वर्ष की और दूसरी रवीना 16 वर्ष की है उनका पिता ख़ुद को थप्पड़ मारते हुए यह मांग कर रहा है कि या तो मेरी बेटियों को सुरक्षित वापस ला दो या मुझे गोली मार दो। असल में यह ये थप्पड़ रीना और रवीना का पिता अपने मुंह पर नहीं बल्कि भारत में बैठे उन कथित धर्मनिरपेक्ष नेताओं मुंह पर मार रहा है जो यहाँ जरा सी घटना पर हिन्दू को कोसते देखे जाते हैं।
हालाँकि इस जबरन धर्मांतरण पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने जरुर ट्वीट कर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से पूछा है आपका नया पाकिस्तान कहां है? क्योंकि पुराने पाकिस्तान में तो यह सब वर्षो से जारी था ही।
कहने को तो 2016 में सिंध विधानसभा ने ख़ास कर गैर-मुसलमान परिवार के बच्चों को जबरन मुसलमान बनाए जाने की कई शिकायतों के बाद, जबरन धर्म परिवर्तन के ख़िलाफ एक बिल पास किया था। लेकिन इस बिल के विरोध में कई धार्मिक दल सड़कों पर उतर आए और इसके ख़िलाफ आंदोलन की घोषणा कर दी थी।
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार दैनिक डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान में सिंध के उमरकोट जिले में जबरन धर्म परिवर्तन की करीब 25 घटनाएं हर महीने होती हैं। जबरन धर्म परिवर्तन की उनकी शिकायतों पर न तो पुलिस कार्रवाई न वहां की सरकार यह बात वहां के रहने वाले हिन्दू जानते हैं, लिहाजा वो ख़ुद ही हल्ला मचा रो धोकर बैठ जाते है।
वर्ष 2012 में अमेरिका के कई प्रभावशाली सांसदों ने पाक के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदुओं की दुर्दशा पर गहरी चिंता जताई थी। उनका कहना था कि पाकिस्तान के इस प्रांत में हिंदुओं को कोई मौलिक अधिकार नहीं मिला है। पाक मानवाधिकार की स्थिति बदतर है। अमेरिकी संसद में सिंध में मानवाधिकार पर ब्रीफिंग के दौरान एक सांसद ने आरोप लगाए, सिंध का हिंदू समुदाय अपनी औरतों के जबरन इस्लाम में धर्मांतरित करने के लगातार आशंका में जीता है।
सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय की महिलाओं और लड़कियों का अपहरण और बलात धर्मान्तरण करा कर जबरदस्ती विवाह कराना एक आम बात हो चुकी है वर्ष 2012 में हिन्दू लड़की रिंकल कुमारी का मामला अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा था लेकिन उसके बाद भी उसका धर्म परिवर्तन कराकर उसे मुसलमान बनाया गया इसके बाद नावीद शाह नाम के एक मुस्लिम युवक से उसकी शादी करा दी गई थी। उस समय रिंकल के वकील अमरलाल ने पत्रकारों के सामने दुखी मन से कहा था, कि कभी अनिता को बेचा जाता है, कभी जैकबाबाद से कविता को उठा कर ताक़त के जोर पर मुसलमान किया जाता है, कभी जैकबाबाद से सपना को उठाते हैं तो कभी पनो आकिल से पिंकी को ले जाते हैं।
यह कोई एक या दो घटना नहीं है बल्कि ऐसी घटनाएँ पाकिस्तान में रह रहे हर तीसरे हिन्दू परिवार के साथ हो रही है। रबीना पाकिस्तान के सकूर में रहती थी और डॉक्टर बनना चाहती थी। इन्टरमीडिएट की परीक्षा में अच्छे अंक लेकर वह शहर के मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए गई। उसे सिर्फ इस वजह से प्रवेश नहीं दिया कि वह हिन्दू है और एड्मिसन के लिए उसे धर्म परिवर्तन की सलाह दी गयी।
एक गैर सरकारी संस्था मूवमेंट फॉर पीस एंड सॉलिडेरिटी इन पाकिस्तान के अनुसार हर वर्ष करीब 5 सौ से हजार ईसाई और हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है। इतना ही नहीं उनकी इच्छा के विरुद्ध उनकी शादियां मुसलमानों से कराई जाती है वो बताते है कि 12 से 25 साल उम्र की लड़कियों का पहले अपहरण कर लिया जाता है, फिर उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा जाता है। उसके बाद उसका किसी से निकाह करवा दिया जाता है। इसमें यह भी दिखाया जाता है की उन्होंने अपनी इच्छा से इस्लाम धर्म कबूल किया है। जैसा कि अब रीना और रवीना के मामले में भी एक वीडियो पोस्ट कर दिखाया जा रहा है।
यही नहीं खुद को धार्मिक कहने वाले यहां के मौलवी को लेकर ये भी आरोप लगते रहे हैं कि यहां नाबालिग हिंदू और ईसाई लड़कियों को अगवाकर उनका शारीरिक शोषण करते है फिर धर्म परिवर्तन कराकर उनका निकाह कराते है। इसे लेकर कुछ समय पहले पाकिस्तान तहरीक ए इन्साफ के लीडर और सिंध के कंधकोट के डॉ जसपाल छाबड़िया ने सवाल भी उठाया था। उन्होंने यहां 13 साल की लड़की का अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और 52 साल से शख्स से शादी को लेकर सवाल खड़ा किया था।
अब देखना यही है कि इस घटना पर कितनी कारवाही होती है और कितने सवाल खड़े होते है पर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि सीमा भले ही बदली हो लेकिन मानसिकता में बदलाव दिखाई नहीं दे रहा है। इधर लव जिहाद के नाम पर है तो उधर सीधा ही घर से उठाकर जिहाद के नाम पर धर्मांतरण?