सदस्यता की नियमावली
स्थानीय समाज की सदस्यता के लिए निम्नलिखित नियमावली है-
- आर्य समाज के दस नियमों में विश्वास
- वेद की स्वामी दयानन्द द्वारा की हुई व्याख्यादि में विश्वास
- सदस्य की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए
- द्विजों के लिए विशेष दीक्षा संस्कार की आवश्यकता नहीं है किन्तु ईसाई तथा मुसलमानों के लिए एक शुद्धि संस्कार की व्यवस्था है।
- स्थानीय सदस्य
स्थानीय सदस्य दो प्रकार के हैं-
- प्रथम, जिन्हें मत देने का अधिकार नहीं, अर्थात् अस्थायी सदस्य;
- द्वितीय, जिन्हें मत देने का अधिकार प्राप्त है, जो स्थायी सदस्य होते हैं। अस्थायित्व काल एक वर्ष का होता है। सहानुभूति दर्शाने वालों की भी एक अलग श्रेणी है।
- स्थानीय समाज के पदाधिकारी
स्थानीय समाज के निम्नांकित पदाधिकारी होते हैं—
- सभापति
- उपसभापति
- मंत्री
- कोषाध्यक्ष
- पुस्तकालयाध्यक्ष।
ये सभी स्थायी सदस्यों द्वारा उनमें से ही चुने जाते हैं।
- प्रान्तीय समाज
प्रान्तीय समाज के पदाधिकारी इन्हीं समाजों के प्रतिनिधि एवं भेजे हुए सदस्य होते हैं। स्थानीय समाज के प्रत्येक बीस सदस्य के पीछे एक सदस्य को प्रान्तीय समाज में प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है। इस प्रकार इसका गठन प्रतिनिधिमूलक है।