वेढुवानन्दु हैं

वेढुवानन्दु हैं....


जिसने मिटाया छल छदम् और पाखण्ड ..


वे दयानन्द है,वे दयानन्द है।



विस्तार की दी दृष्टि ,जीवन को दिया सहारा


हमको सत्यार्थ का प्रदर्शन दिया, सन्ध्या का आनंद .


वो दयानन्द है ...


००


कुरीतियों में लिपटा, अंधविश्वासों का था बंधन


सत्य का देखे मंत्र ,जीवन के तोड़े बंध


वे दयानन्द है...


०००


मद्य मांसादिकों से दूर हमको बनाया शूर


संसार भर में जिसने फैला दी यज्ञ सुगंध


वे दयानन्द है....


००००


पुराण वाम पन्थ तीर्थादिकों का छंद


सबकुछ शुभ्र करके वेदों का सुना के छंद


वे दयानन्द हैं ....


०००००


नारी नहीं है अबला जिसने बनाया पूज्या


विधवा के पोंछे आंसू माँ देवी का दिया पद


वे दयानन्द है... 


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