गोत्र का वैज्ञानिक आधार
गोत्र क्या है ? एवं इसका वैज्ञानिक आधार क्या है ?
प्रलय के बाद पहली बार सृस्टि में मानव की उत्पत्ति पृथ्वी के गर्भ से होती है ,और अनेक नौजवान पुरुष, नौजवान युवतियां पैदा होती है। पहली बार जो मानव पैदा होते हैं वह ऋषि और जन्म से ब्राह्मण होते हैं । पूरे जगत में हम सभी इन्हीं ऋषियों की संतान हैं । पहली बार जन्मे ऋषि का नाम ही गोत्र प्रचलन में आता है । जैसे किसी का गोत्र भरद्वाज है , इसका ये अर्थ कि पहली बार पृथ्वी के गर्भ से अनेक मानव में एक भारद्वाज नाम के ऋषि भी पैदा हुए थे और जगत में जितने भी भारद्वाज गोत्र के मानव हैं वे सभी एक ही भारद्वाज ऋषि की संतान का विस्तार हैं एवं वे आपस मे भाई -बहन है । गोत्र छोड़कर शादी करना वेद सम्मत है ,क्योंकि एक गोत्र की संतान आपस में भाई- बहन है । वेद में भाई बहन की शादी को जगत में सबसे बड़ा महापाप बताया गया है ।
सृस्टि उत्पत्ति के समय पहली बार जो मानव पैदा होता है वह जन्म से ब्राह्मण होता है । उसके बाद जन्म से हर व्यक्ति शुद्र पैदा होता है एवं अपने कर्म के आधार पर ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य एवं शुद्र होता है । ब्राह्मण उसी को कहा जाता है जो चारो वेदो का प्रकांड विद्वान हो एवं जिसका आचरण वेद के अनुसार हो ।
यदि हम जन्म से ही जाति की बात करें तो हम सभी की जाति ब्राह्मण ही है क्योंकि हमारे पहले पूर्वज जन्म से ब्राह्मण ही थे । परंतु यह वेद मत नहीं है ।
आज की जाति व्यवस्था वेद मत नहीं है। यह जाति अज्ञानी लोगों ने अपना गिरोह बनाने के लिए की हुई है। आज भी गिरोह बन रहे हैं जैसे राधा -स्वामी ,राम -रहीम आसाराम आदि , ये सब पाखंडी है।