जीवन की परिस्थिति

जीवन में सब प्रकार की परिस्थितियां आती रहती हैं,  कभी अच्छी और कभी खराब। जब अच्छी परिस्थिति आती है, तब लोग खुश हो जाते हैं। और जब खराब आती है तो घबरा जाते हैं, रोने चिल्लाने लगते हैं, दुखी होते हैं, परेशान हो जाते हैं। अनेक बार मन बुद्धि पर नियंत्रण भी खो बैठते हैं, और ऐसे भी काम कर डालते हैं, जो नहीं करने चाहिएँ। इस प्रकार से जीने से तो जीवन संतुलित नहीं रहता, व्यवस्थित नहीं रहता।
 जीवन को सही दृष्टिकोण से जीना चाहिए। अर्थात जो भी परिस्थितियां भविष्य में हो सकती हैं, उनको पहले से सोचना चाहिए। उनकी पहले से मानसिक तैयारी करनी चाहिए। जो लोग ऐसी तैयारी करते हैं वे उन परिस्थितियों के आने पर घबराते नहीं हैं। वे पहले से ही तैयारी रखते हैं कि यदि खराब परिस्थिति आ गई, तो ऐसी परिस्थिति से हम बाहर कैसे आएंगे ! और जो अच्छी परिस्थिति आयेगी, तब भी उसे सामान्य रूप से जीवन में स्वीकार करेंगे, बहुत नाचेंगे कूदेंगे नहीं। तो इस प्रकार से जो व्यक्ति तैयारी करता है, वह सब परिस्थितियों में अपना संतुलन बनाए रखता है, कभी घबराता नहीं, और सदा आनंद पूर्वक जीता है -


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