जीवन में आभाव
सारी वस्तुएं संसार में किसी के पास भी नहीं होती। कुछ होती हैं, कुछ नहीं होती।
परंतु बहुत से लोग ऐसे देखे जाते हैं, जो यह सोचते हैं कि मेरे पास तो कुछ भी नहीं है. ऐसा सोचना गलत है। ऐसा बार बार सोचने से व्यक्ति अवसाद अर्थात डिप्रेशन की स्थिति में चला जाता है। इससे उसको लाभ के स्थान पर हानि होती है।
तथा कुछ लोग अति उत्साही होते हैं। वे ऐसा सोचते हैं कि हमारे पास तो सब कुछ है. जबकि उनके पास सब कुछ नहीं होता। वे भी अनेक परिस्थितियों में अनेक वस्तुओं के अभाव में दुखी होते रहते हैं। परंतु अपने मिथ्या अभिमान के कारण अपनी कमियों को स्वीकार नहीं करते। वे भी जीवन में असफल तथा असंतुष्ट ही रहते हैं।
इसलिए ये दोनों ही स्थितियां अच्छी नहीं हैं। दोनों का संतुलन करना चाहिए अर्थात ऐसा सोचना चाहिए कि ईश्वर की कृपा से कुछ वस्तुएं मेरे पास हैं। और कुछ की अभी आवश्यकता है। मैं ईमानदारी तथा बुद्धिमत्ता से पूरी मेहनत करूंगा, और जो चीजें मुझे अभी प्राप्त नहीं हैं, तथा मेरे जीवन के लिए आवश्यक हैं, उन्हें भी मैं ईश्वर की कृपा से प्राप्त कर लूंगा।
ऐसा व्यक्ति भविष्य में बहुत कुछ प्राप्त कर लेता है, और सुख पूर्वक जीवन जी जीता है