वेद मंत्र
अस्य श्रवो नद्यः सप्त बिभ्रति द्यावाक्षामा पृथिवी दर्शतं वपुः।
अस्मे सूर्याचन्द्रमसाभिचक्षे श्रद्धे कमिन्द्र चरतो वितर्तुरम्॥ ऋग्वेद १-१०२-२।।
सातों समुद्र प्रभु की महिमा को दर्शाते हैं। पृथ्वी, आकाश सभी लोक प्रभु की महिमा के प्रकाश को दर्शाते हैं। सूर्य और चंद्र नियम पूर्वक गति कर प्रभु की महिमा को दर्शाते हैं। मनुष्य को चाहिए कि प्रभु के प्रति श्रद्धा अपने हृदय में उत्पन्न करें और उसके नियमों पर चलकर सुख पूर्वक गति करें।