वेद मंत्र
इममिन्द्र सुतं पिब ज्येष्ठममर्त्यं मदं।
शुक्रस्य त्वाभ्यक्षरन्धारा ऋतस्य सादने।। ऋग्वेद १-८४-४।।🙏🏵
हे इंद्र (जीवात्मा), तुम अमृत्व और भक्ति का रस पान करो। पवित्र और आनंदमय उपासना की सत्य और विधियुक्त धाराओं को अपने हृदय प्रदेश में बल और महिमा प्रदान करने के लिए बहने दें। 🙏🏵
O Indra(soul), you drink the juice of immortal and devotion. Let the purifying and blissful streams of devotion flow for you into the seat(heart) of truth and law to achieve pure and brilliant power and glory. (Rig Veda 1-84-4)🙏🏵 #vedgsawana