वेदमंत्र ( द्विमाता तूर्षु तरणिर्विभूषति )

वेदमंत्र ( द्विमाता तूर्षु तरणिर्विभूषति )


याभिः परिज्मा तनयस्य मज्मना द्विमाता तूर्षु तरणिर्विभूषति।
याभिस्त्रिमन्तुरभवद्विचक्षणस्ताभिरू षु ऊतिभिरश्विना गतम्॥ 


       हे सर्वत्र गमन करने वाली वायु, पवन ऊर्जा, जल के स्रोत की  शक्तियां हमारी सुरक्षात्मक शक्तियों को सुशोभित करें।  आप अग्नि और जल की प्रमाण करने वाली हो।  तुम शीघ्रतम से शीघ्र हो। आप उन विद्वान लोगों के लिए अद्भुत मार्गदर्शक हो जो ज्ञान, कर्म और उपासना द्वारा अपने लक्ष्य की प्राप्ति में लगे हैं। 


      O beautifying  protective powers of circumambient swift moving wind, wind energy, source of water come to us. You are measurer of fire and water. You are swiftest of swift. You are wonderful guide to the learned people who are attaining thier goal by knowledge, action and worship. 


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