आचरण सर्वोपरि हैं
आचरण सर्वोपरि हैं
अपने ब्रह्मचारियों को केवल एक ही उपदेश हैं; मत देखों की लोग क्या कहते हैं, सत्य की दृढ़ता को पकड़ो। सारे संसार का सत्य ही आधार हैं। यदि तुम्हारा मन, वचन और कर्म सत्यमय हैं , तो समझो कि तुम्हारा उद्देश्य पूरा हो गया। प्रसिद्धि के पीछे भाग कर कोई काम मत करो। प्रसिद्धि के पीछे भागने से किसी की प्रसिद्धि नहीं हुई। अपने सामने एक उद्देश्य रखलो, उसी में लग जाओ, फिर गिरावट असंभव हैं। उपदेशक बनो या मत बनो, पर एक बात याद रखो, बनावटी मत बनो। सबको परमात्मा वाणी की शक्ति या उपदेश देने की शक्ति नहीं देता। सबको परमात्मा वाणी की शक्ति नहीं देता। वाणी न हो न सही, किन्तु आचरण सत्यमय हो। नट न बनो, न इस संसार को नाट्यशाला बनाओ। स्वच्छ जीवन रखो। यदी इस प्रकार का स्नातकों का आचरण होगा तो मेरा पूरा संतोष होगा।