आर्यों ! देश बचाओ
आर्यों ! देश बचाओ
स्वामी दयानन्द बन जाओ, करो राष्ट्र उद्धार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।
किसी समय भारत में घर-घर, यज्ञ रचाए जाते थे।
संन्यासी विद्वान तपस्वी, वैदिक कथा सुनाते थे।।
ईश्वर भक्त निराले थे, करते थे सद व्यवहार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।
राम कृष्ण से महापुरुष थे, अर्जुन से थे वीर यहां।
चन्द्रगुप्त विक्रम जैसे थे, देश भक्त रणधीर यहां।।
जो कहते थे, करते थे वे, भारत से था प्यार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यो! देश बचाओ।।
पाखण्डी बढ़ गए देश में, जनता को बहकाते हैं।
ईश्वर की पूजा छुड़वाकर, निज पूजा करवाते हैं।।
कोठी बंगलों में रहते हैं, दगाबाज, मक्कार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।
मात-पिता, दादा-दादी की, होती नहीं यहाँ सेवा।
वृद्धजनों की सेवा से, मिलती है यश रूपी मेवा।।
बिगड़ गया है युवक-युवतियों का आचार-विचार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।
एक-एक फुट धरती पर, लड़ते हैं भाई-बहिन यहाँ।
अज्ञानी बन गए अभागे, तनिक न करते सहन यहाँ।।
आपाधापी मची हुई, चहुंदिश है मारामार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।
नेता है बेशर्म शराबी, खाते अण्डे मांस यहाँ।
धूर्त स्वार्थी हत्यारों का, कौन करे विश्वास यहाँ।।
धन-संग्रह में लगे हुए हैं, भूल गए करतार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।
देश-धर्म से प्यार नहीं है, करते हैं नित घोटाले।
आस्तीन में छिपकर बैठे, नाग पौनियां हैं काले।।
गउओं की गर्दन पर नित, चलती है, यहाँ कटार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।
दयानन्द के वीर सैनिकों! कर्मक्षेत्र में बढ़ जाओ।
बनो लाजपत, बिस्मिल, शेखर, काम करो आगे आओ।।
"नन्दलाल निर्भय' दुष्टों का, कर दो अब संहार, आर्यों! देश बचाओ।
लेखराम, श्रद्धानन्द बनकर, करो वेद प्रचार, आर्यों! देश बचाओ।।