अकाउंट बनाए गए जो यह दांवा कर रहे
कोरोना वायरस की आड़ में ट्विटर पर फेक सरकारी डॉक्टरों का फेक अकाउंट द्वारा मोदी सरकार को विफल घोषित करने का प्रयास
पिछले कुछ घंटो में दो ऐसे अकाउंट बनाए गए जो यह दांवा कर रहे है कि वे सरकारी डॉक्टर है तथा उनके अस्पताल में फेस मास्क की कमी है और डॉक्टरों को उनके बिना काम करना पड़ रहा है।
राहुल गांधी ने तुरंत रोहतक की उस झूठी डॉक्टर कामना कक्कड़ की ट्वीट को प्रसारित कर दिया और लिखा कि हमें इस खतरे को गंभीरता से लेना चाहिए था और इसके लिए और अच्छी तरह से तैयारी करनी चाहिए थी। लेकिन कुछ ही देर में जनता ने सिद्ध कर दिया कि यह फेक अकाउंट है। "डॉक्टर" कामना कक्कड़ ने माफी मांग ली है कि मेडिकल ग्रेड के मास्क उनके हस्पताल में उपलब्ध हैं और वह उन सभी लोगों को दिए गए हैं जो कोरोना मरीजों की देखभाल कर रहे हैं। इसके बाद कक्कड़ ने अपना अकाउंट डिलीट कर दिया।
इसी प्रकार एक अन्य ट्वीट वसुंधरा सांगवान ने चलाई जिसमें वह डॉक्टरों वाला फेस मास्क पहने हुई है। उन्होंने लिखा कि इस मास्क को एक हफ्ते से अधिक समय तक पहन कर काम कर रही हैं क्योंकि हस्पताल में आवश्यक मात्रा में मास्क उपलब्ध नहीं है। फिर आगे लिखती हैं कि वे इस मास्क को धोकर प्रयोग कर रही हैं।
कुछ ही देर में इन दोनों ट्वीट को शेखर गुप्ता, वायर इत्यादि के पत्रकारों ने प्रसारित कर दिया। शेखर गुप्ता की मीडिया कंपनी के एक पत्रकार ने सांगवान से संपर्क करके कहा कि वे उनकी समस्या पर स्टोरी करना चाहेगी।
"वसुंधरा सांगवान" की बेवकूफी यह थी कि वह अपने अकाउंट का "ट्विटर नाम" - विक्रमादित्य - हटाना भूल गया था। जी हां - यह एक पुरुष था जो महिला डॉक्टर होने का नाटक कर रहा था.
यह अकाउंट भी कुछ देर पहले बनाया गया था जो मोदी सरकार के विरोध में ट्वीट कर रहा था। फिर इसने अपना नाम बदलकर डॉक्टर वसुंधरा सांगवान के नाम से ट्वीट करने का प्रयास किया।
इस ट्वीट को तुरंत एक अर्बन नक्सल - प्रतीक सिन्हा - ने प्रसारित कर दिया। जब उसे बताया गया कि यह फेक अकाउंट था तो सिन्हा ने माना कि यह एक फेक अकाउंट था जो डॉक्टर का नहीं था। लेकिन फिर भी वह लिखता है कि उसने उस व्यक्ति (विक्रमादित्य) की बहन (वसुंधरा सांगवान) से बात की जिसने यह ट्वीट भेजी थी; वसुंधरा ने बतलाया किया यह मुद्दा जेनुइन है लेकिन उसके भाई विक्रमादित्य ने यह ट्वीट और फोटोग्राफ बहन वसुंधरा की सहमति के बिना भेज दिया।
मेरे लिए यह आश्चर्य की बात है कि अगर यह फेक अकाउंट था तो सिन्हा के पास उसकी बहन का नंबर कहां से आ गया। कहीं ऐसा तो नहीं है कि यह सारे अकाउंट कोई अर्बन नक्सल अपने घर में बैठकर बना रहा हो जिसे राहुल एंड कंपनी जनता को भड़काने के लिए जान-बूझकर प्रसारित कर रही है?
राहुल गांधी कहते हैं कि उन्होंने 6 फरवरी को ही मोदी सरकार को कोरोना वायरस के खतरे के प्रति आगाह कर दिया था। लेकिन इस बात का जवाब नहीं देते कि अगर कोरोनावायरस से इतना बड़ा खतरा था तो फ़रवरी में वह विदेश क्यों घूमने जा रहे थे? वह यह भी नहीं बतलाते कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 मार्च को ही कोरोना वायरस बीमारी को वैश्विक महामारी घोषित किया था।
इसी प्रकार एक कांग्रेसी डॉक्टर हरजीत भट्टी ने असम के बारे में फेक न्यूज़ फैलाई कि वहां के डॉक्टरों को कूड़े-कचरे वाले प्लास्टिक से अपने आप को ढक कर काम करना पड़ रहा है। वह खबर भी झूटी पाई गई। वहां के मंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने भट्टी पर एफ आई आर दर्ज कराने का आदेश दिया जिसके बाद भट्टी ने अपनी ट्वीट डिलीट कर दी।
मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर आम नागरिकों ने सरकार के निर्देशानुसार सावधानी नहीं बरती तो कोरोनावायरस के प्रकोप से भारत में अभी भी संक्रमण और मृत्यु दर में एकाएक वृद्धि होने की संभावना है। यह भी सत्य है कि 130 करोड़ नागरिकों वाले राष्ट्र में मोदी सरकार ने अब तक कोरोनावायरस को सफलतापूर्वक कंट्रोल करा हुआ है जिसके लिए उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए। इतने कम संक्रमण के लिए किसी भी प्रकार की मेडिकल सप्लाई, दवा, तथा इलाज में कमी नहीं है ना हो सकती है। यह भी एक तथ्य है की विश्व समेत भारत भी आर्थिक मंदी की चपेट में आएगा।