एक किताब जो बदल देगी जीवन
एक किताब जो बदल देगी जीवन
1. देश के लिए बलिदान होने वाला पहला क्रांतिकारी मंगल पांडे स्वामी दयानंद का शिष्य था। मंगल पांडे को चर्बी वाले कारतूस प्रयोग करने के कारण पानी न पिलाने वाले स्वामी दयानंद ही थे। प्रमाण: महान स्वतंत्रता सेनानी आचार्य दीपांकर की पुस्तक पढे: 1857 की क्रांति और मेरठ।
2. सबसे कम उम्र के क्रांतिकारी खुदीराम बोस ने मरने से पहले गीता और सत्यार्थ प्रकाश के दर्शन किए, जब जेलर ने पूछा इन किताब में क्या है, उसने बताया, गीता मुझे दोबारा जन्म लेने की प्रेरणा देती है और सत्यार्थ प्रकाश स्वदेशी राज्य की प्राप्ति का मार्ग सुझाती है। इसलिए मैं जन्म लेकर दोबारा आउंगा और आजादी प्राप्त करूंगा। प्रमाण: खुदीराम की जीवनी तेजपाल आर्य की लिखी पढ़े। और देश के सबसे वृद्ध क्रांतिकारी लाला लाजपत राय पर जब लाठियां बरस रही थी, उनके हाथ में तब भी सत्यार्थ प्रकाश था।
3. पं. मदनमोहन मालवीय जी ने आर्यसमाज का यहां तक विरोध किया कि सनातन धर्म सभा तक बना डाली, लेकिन जब मरने लगे तो काशी के सब पंडित उनके दर्शन करने आए और बोले, महामना जी हमारा मार्गदर्शन अब कौन करेगा? तो मदनमोहन मालवीय जी ने उन्हें सत्यार्थप्रकाश देते हुए कहा, ‘‘सत्यार्थ प्रकाश आपका मार्गदर्शन करेगा।’’प्रमाण: घोर पौराणिक लेखक अवधेश जी की पुस्तक महामना मालवीय पढ़े, जो हिन्द पॉकेट बुक्स से छपी है।
4. सत्यार्थप्रकाश पढकर एक तांगा चलाने वाला दुनिया में मशालों का शहंशाह बन गया: एमडीएच मशाले और सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर एक पिंक्चर लगानेवाला हीरो ग्रुप का अध्यक्ष बन गया: ओमप्रकाश मूंजाल
5. सत्यार्थ प्रकाश पढकर होमी भाभा ने भारत में परमाणु युग की शुरूआत की और डॉक्टर कलाम ने गीता के साथ-साथ सत्यार्थप्रकाश भी अनेक बार पढा है।गॉड पार्टिकल और हिग्स बोसोन की खोज के कारण जिन विदेशियों को नोबेल पुरस्कार मिला, जानते हो मेरे पास 1966 की एक हिन्दी पत्रिका नवनीत है, उसमें ये सिद्धांत तब के ही लिखे हैं और वह लेख लिखा हुआ है सत्येंद्रनाथ बोस का, जो आर्य समाज के सदस्य थे और वैज्ञानिक भी, अब इतने दिन बाद पुरस्कार कोई और ले गया। चलो फिर भी विज्ञान में न सही अभी समाज सेवा में कैलासजी को नोबेल मिला, वे भी सत्यार्थ प्रकाश पढने वाले ही हैं और जनज्ञान प्रकाशन की पंडिता राकेश रानी के दामाद हैं। जनज्ञान प्रकाशन ने कभी सबसे सस्ते वेद प्रकाशित किए थे।
6. सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर फीजी, गुयाना, मोरीशस में कई व्यक्ति राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन गए।
7. सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने वाले लाल बहादुर शास्त्री और चौधरी चरण सिंह देश के सबसे ईमानदार प्रधानमंत्री कहलाए। चरणसिंह की राजनीति कैसी भी रही हो, लेकिन जमींदारी उन्मूलन के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। नेहरूजी सहकारिता के नाम पर हिन्दुस्तान की सारी जमीन रूस को देने वाले थे, ऐसे ही जैसे उन्होंने आजाद भारत में माउंटबेटन को गवर्नर बना दिया। यदि सत्यार्थप्रकाश पढने वाले चरणसिंह न होते तो आज हमारे किसानो के आका रूस के लोग होते और देश रूस का गुलाम होता।
प्रमाण: कमलेश्वर की इंदिरा की जीवनी अंतिम सफर (संपूर्ण मूल संस्करण, क्योंकि यह संक्षिप्त भी है) पुस्तक पढे, कमलेश्वर इंदिरा जी के चहेते थेे, उनकी मौत पर दूरदर्शन से कमेंटरी उन्होंने ही की थी।
8. सत्यार्थप्रकाश जिसने भी पढा, वह शेर बन गया, रामप्रसाद बिस्लिम, श्याम कृष्णवर्मा, श्यामाप्रसाद मुखर्जी, डॉक्टर हेडेगेवार के पिताश्री बलिराम पंत हेडगेवार जो आर्य समाज के पुरोहित थे आदि और आज के युग में भी शेर ही होते हैं। सुनो कहानी: सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा ने भारत माता का नग्न चित्र बनानेवाले एमएफ हुसैन को 15 वर्ष पहले हैदराबाद में पत्रकार सम्मेलन में सबके सामने जोरदार चांटा जडा, अपमानित होकर बेचारे हुसैन देश ही छोड गए और हैदराबाद जैसे मुस्लिम शहर में रंगीला रसूल का पुनः प्रकाशन भी किया और सौ से अधिक पुस्तके आर्य समाज से संबंधित लिखी।
9. सत्यार्थ प्रकाश पर 2008 में प्रतिबंध के लिए जब भारत भर के मुल्ला-मौलवी एकत्र हुए और अदालत में पहुंचे तो फैसला सुनाने वाले जज ने न केवल सत्यार्थ प्रकाश के पक्ष में फैसला दिया वरन स्वयं आर्य समाजी हो गया और मुसलमानो का एक मुस्लिम वकील भी आर्य समाजी बन गया, बेचारे ने भूल से सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन किया था ताकि गलत तथ्य निकाल सके। आर्यसमाज की ओर से यह मुकदमा विमल वधावनजी ने लडा था, विमलजी भी सत्यार्थ प्रकाश पढनेवाले ही हैं।
10. सत्यार्थप्रकाश पढकर ही मुंशी प्रेमचंद भारत के सबसे लोकप्रिय लेखक बने, उनकी धर्मपत्नी ने ही ऐसा लिखा है।