मिलकर होली पर्व मनाओ
मिलकर होली पर्व मनाओ
सकल विश्व के सब नर-नारी, मिलकर होली पर्व मनाओ।
प्यार प्रेम का रंग वर्षाओ, पावन वैदिक धर्म निभाओ।।
फाल्गुन मास पूर्णिमा के दिन, यह त्यौहार मनाते हैं सब।
हलवा, पूरी, खीर, पकोड़े, बड़े चाव से खाते हैं सब।
नीला, पीला, हरा, गुलाबी, लाल रंग वर्षाते हैं सब।
ईश्वर भक्त, सदाचारी, सत्कर्मी मौज उड़ाते हैं सब।।
नशेबाज हैं जो नर-नारी, उनके सब दुर्व्यसन छुड़ाओ।
प्यार प्रेम का रंग वर्षाओ, पावन वैदिक धर्म निभाओ।।१॥
याद रखो, अय दुनिया वालो, नव संस्येष्टि यज्ञ है होली।
आर्य पर्व है, वेद पढ़ो तुम, करो न कभी गन्दी ठिठोली।।
बातों में मिश्री सी घोलो, सबसे बोलो मीठी बोली।
दान करो, दानी बन जाओ, युवक-युवतियों की सब टोली।
दुखियों दीन अनाथ-जनों को खुश होकर के गले लगाओ
प्यार प्रेम का रंग वर्षाओ, पावन वैदिक धर्म निभाओ।।२।।
चोरी करना, जुआ खेलना, बुरे काम माने जाते हैं।
मांसाहारी दुष्ट-शराबी, कहीं नहीं आदर पाते हैं।।
धर्म-द्रोही, धूर्त नास्तिक, नफरत से देखे जाते हैं।
चरित्रहीन व्यभिचारी गुण्डे, मार सदा जग में खाते हैं।।
जो वैदिक पथ भूल गए हैं, उनको वैदिक मार्ग बताओ।
प्यार प्रेम का रंग वर्षाओ, पावन वैदिक धर्म निभाओ।।
जगतपिता जगदीश्वर का, अहसान भुलाना महापाप है।
अच्छी संगति तज गन्दी संगत अपनाना महापाप है।।
ईश्वर भक्तों, विद्वानों की, हँसी उड़ाना महापाप है।
पर धन, पर नारी पर सुन लो, कुदृष्टि लगाना महापाप है।।
त्यागी सन्त तपस्वी हैं, जो उनको खुश हो, शीश नवाओ
प्यार प्रेम का रंग वर्षाओ, पावन वैदिक धर्म निभाओ।।
अण्डे, मछली, मुर्गा, तीतर, बकरा खाना महापाप है।
मानवता के हत्यारों का, साथ निभाना महापाप है।।
श्रीकृष्ण जैसे योगी को, दोष लगाना महापाप है।
गोपी वल्लभ, राधा प्रेमी, चोर बताना महापाप है।।
ढोंगी पाखण्डी, गुण्डों की, पोल खोल दो आगे आओ।
प्यार प्रेम का रंग वर्षाओ, पावन वैदिक धर्म निभाओ।।
परोपकारी बनो साथियो! मानव हो मानवता धारो।
निद्रा त्यागो, होश संभालो, राम कृष्ण के पुत्र दुलारो।।
आए हो किस लिए जगत में, बैठ तनिक एकांत विचारो।
अगर मारना है तुमको तो, बुरी भावनाओं को मारो।।
"नन्दलाल निर्भय" दुनिया में, अपना नाम अमर कर जाओ।
प्यार प्रेम का रंग वर्षाओ, पावन वैदिक धर्म निभाओ।।