वैदिक विचार
संसार में ऊँचे नीचे व्यवहार तो रोज ही होते रहते हैं। कुछ बुद्धिमान लोग ऐसे व्यवहार होने पर आत्म - निरीक्षण करते हैं, और अपने दोषों को जानकर समझकर उन्हें दूर करने का प्रयत्न करते हैं।
परंतु कुछ मूर्ख और स्वार्थी लोग अपने दोषों को स्वीकार नहीं करते। जैसे-तैसे अपने दोषों को ढकने और उनका समर्थन करने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते। ऐसे लोगों से हमें शिक्षा लेनी चाहिए, कि हम उन मूर्ख तथा स्वार्थी लोगों की नकल नहीं करेंगे। हम तो बुद्धिमान बनेंगे।
जैसे श्री राम जी, श्री कृष्ण जी आदि अनेक महापुरुष हुए थे। उन्होंने आत्म-निरीक्षण कर करके अपने दोषों को दूर किया। अपने माता-पिता गुरुजनों के निर्देश आदेश का पालन करते हुए उत्तम उत्तम गुणों को धारण किया। इसी प्रकार से आपको भी कोई-न-कोई महापुरुष अपने जीवन में आदर्श बना कर रखना चाहिए। और उसके जीवन से अच्छे गुणों को धारण करना चाहिए। तभी आप वास्तविक उन्नति कर पाएंगे। अन्यथा दुनियाँ में करोड़ों व्यक्ति हैं, जो भ्रांति में जी रहे हैं। वे सोचते हैं, कि "हम बहुत उत्तम व्यक्ति हैं, हम बिल्कुल ठीक हैं।" जबकि वे दिन रात दोष करते रहतेे हैं।
तो दूसरों की गलतियां देखकर भी उनसे द्वेष न करें। उनसे बदला लेने की न सोचें, बल्कि अपने दोषों का सुधार करें । यदि आपका दोष न हो, तो चिंता न करें। यही सुखी जीवन का रहस्य है।