अलौकिक अव्यक्त प्रेम 

 



 


 


 


अलौकिक अव्यक्त प्रेम 
 माता - पिता ,  पिता- पुत्र , भाई - बहन ,  भाई - भाई , पति - पत्नी ,  मित्र- सखा , गुरु-शिष्य  एवं भक्त और भगवान के  बीच ऐसा अलौकिक प्रेम भी होता है जिसे व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं होती वह अव्यक्त होते हुए भी , स्थान से पास या  दूर होते हुए भी  एक दूसरे के हृदय तक पहुंच जाता है और उसे  अनुभव किया जा सकता है तथा एक दूसरे के प्रति सकुशलता का  संदेश भी मानसिक तरंग से पहुंच जाता है । 
     प्रेम विराट होता है , प्रेम की विशालता मनुष्यों ही नहीं पशु पक्षियों में भी देखने को मिलती है। 
  सभी जीव ईश्वर के सन्तान हैं आओ सब मिलजुलकर प्रेम पूर्वक  एक दूसरे का सहयोग करते हुए जीवन पथ पर आगे बढ़ें  तथा स्वयं आनन्दित रहते हुए औरों को भी आनन्दित रखें । 

 हम आपस में द्वेष भाव या बैर भाव न रखें दुष्टों को दण्ड देना ईश्वर,  राजा न्यायाधीश आदि का  कार्य है । हां ईश्वर से व राजा से प्रार्थना जरूर करना चाहिए कि वो दुष्टों को कठोर दण्ड दें एवं सज्जनों के  रक्षक बनकर उन्हें सुखी रखें । 


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