ज्ञानमयी अमृतवाणी
ज्ञानमयी अमृतवाणी
जो दोस्त और दुश्मन की, अच्छे और बुरे की, हितकर और अहितकर तथा ऊंच नीच की पहचान न कर सकें, जो हमेशा भयभीत और आशंकित बना रहें, जो जरा सी मुसीबत से ही घबरा उठे, जो दूसरों की देखा - देखी अपने स्तर से ऊंचा रहन सहन रखना चाहे, जो अपनी सामर्थ्य से बाहर कार्य करे, जो ऊंचे-ऊंचे सपने देखें और हमेशा मन के लङ्डू और खयाली पुलाव खाता रहें ऐसा व्यक्ति मूर्ख है।
जो नष्ट हुई वस्तु का शोक नही करता, जो विपत्ति पड़ने पर धैर्य और विवेक का साथ नही छोड़ता, जो पराई वस्तु का लालच नही करता और सदा शुभ कर्म करके अपने पुरुषार्थ से ही कोई वस्तु प्राप्त करता है और जो सफल होकर इतराता नही, वही बुद्धिमान है ।
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