जीवन में सुख के साथ दुख भी आएगा, ऐसी तैयारी रखें।

 



 


 


  जीवन में सुख के साथ दुख भी आएगा, ऐसी तैयारी रखें।
        प्रायः लोग चाहते हैं कि जीवन में केवल सुख ही मिले, दुख न आए। ऐसा सोचना उचित नहीं है। क्या भारत देश में ऐसा हो सकता है, कि सारे वर्ष भर छाया ही रहे, धूप निकले ही नहीं? 
यदि धूप नहीं निकलेगी, तो आप की फसल नहीं पकेगी, शरीर में चुस्ती नहीं आएगी, जीवन की रक्षा नहीं हो पाएगी, लोग ठंड में परेशान हो जाएंगे। विदेशी लोग बहुत परेशान हैं, जहां धूप नहीं दिखती, गर्मी नहीं पड़ती। वर्ष में कुछ दिन विदेशों में जहां धूप निकलती है, तब वहाँ के लोग इतने प्रसन्न होते हैं, कि पूछो मत! यहां तक कि, धूप सेकने के लिए, कपड़े उतार कर सड़कों पर नंगे भी घूमते हैं।  इंग्लैंड में मैंने स्वयं ऐसे दृश्य देखे हैं। 
       अधिक धूप हो, तो वह भी कष्टकारक है। और धूप हो ही नहीं, तो भी जीवन ठीक प्रकार से संभव नहीं है। इसलिए ठीक से जीने के लिए धूप भी चाहिए, और छाया भी चाहिए, अर्थात जीवन को ढंग से जीने के लिए सुख भी चाहिए, और दुख भी चाहिए। 
         दुख के बिना, सुख का कोई मूल्य नहीं है। तो ऐसा न सोचें, कि जीवन में सदा सुख ही रहेगा, बल्कि धूप छांव की तरह सुख दुख दोनों आते रहेंगे। 
जब धूप तेज लगती है, तो व्यक्ति छाया को ढूंढने के लिए तेज तेज कदमों से चलता है। और जल्दी ही अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। यदि थोड़ी दूर चलने पर ही छाया मिल जाए, तो संभव है, उस छाया का आनंद लेने के लिए वह उस पेड़ के नीचे ही सो जाए। तब तो उसका लक्ष्य ही प्राप्त न हो पायेगा। इसलिए दोनों आवश्यक हैं, छाया भी और धूप भी। 
       धूप हमारी गति को तीव्र बनाती है, और शीघ्र ही लक्ष्य तक पहुंचाती है। इसी प्रकार से जीवन में दुख आएंगे, तो उन से छूटने के लिए हम विशेष पुरुषार्थ करेंगे, तथा शीघ्र लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे। जीवन का अंतिम लक्ष्य सभी दुखों से छूटना और ईश्वर के उत्तम आनंद को प्राप्त करना है।

sarvjatiy parichay samelan, marriage buero for all hindu cast, love marigge , intercast marriage , arranged marriage

rajistertion call-9977987777, 9977957777, 9977967777or rajisterd free aryavivha.com/aryavivha app


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।