वेद की व्याख्या करने वाले ब्राह्मण ग्रंथो की महिमा
वेद की व्याख्या करने वाले ब्राह्मण ग्रंथो की महिमा
वेद एक पूर्ण पदार्थ विज्ञान का ग्रन्थ है ।
( पदार्थ की परिभाषा -जो इस सृस्टि में दिखाई दे रहा है या नहीं दिखाई दे रहा है उन सभी पदार्थ कहा गया है ।)
परन्तु वेद का विज्ञान ब्राह्मण ग्रंथो से समझा जाता है जिसकी संस्कृत अति कठिन होती है उसके सही अर्थो को जानने समाधी तक जाना पड़ता है । वेद की संस्कृत भाषा ब्राह्मण ग्रंथो से भी कठिन होती है । एक उदाहरण से आपको बताता हूँ की अग्नि पद के केवल ब्राह्मण ग्रंथो से ही ७७१ अर्थ दिए है । कौन सा अर्थ कहाँ ग्रहण करना ये सबसे कठिन कार्य है , ये कार्य कोई महान आत्मा ही कर सकते । इन महान आत्मा को वैदिक परम्परा में ऋषि कहते है ।
ब्राह्मण ग्रंथो का सही अर्थ लगभग ४००० वर्षो बाद महृषि दयानन्द जी ने समझा , और उसको लिपिबद्ध सत्यार्थ प्रकाश , ऋग्वेदभाष्यभूमिका आदि ग्रंथो में करना शुरू कर दिया था , परन्तु प्राणिजगत के दुश्मनो ने उनको अल्पायु में महृषि जी को जहर देकर मार दिया था , जिस कार्य को करने के ४०० वर्ष का समय महृषि जी मांग रहे थे ,उसमे केवल १०-१५ वर्ष कार्य ही कर पाए । महृषि दयानन्द जी के ग्रंथो के आधार पर वेदो के कुछ भाष्य भी हुए है , परन्तु वे पूर्ण विज्ञान को प्रस्तुत नहीं कर रहे है ।
हमारे लिए सौभाग्य की बात है की महृषि दयानन्द जी की तरह एक आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक जी ने २०१८ में ब्राह्मण ग्रंथो में से एक ब्राह्मण ग्रन्थ ऐतरेय को समझा है ,इन आचार्य जी ने ऐतरेय ब्राह्मण ग्रन्थ का भाष्य वेद विज्ञान - आलोक में किया है । वेद विज्ञान -आलोक के आधुनिक विज्ञान की तुलना करने पर पता चलता है की अभी आधुनिक विज्ञान बहुत अधूरा विज्ञान है । इस अधूरे विज्ञान की वजह से ही आज विश्व मौत के मुँह पर खड़ा है ।
आधुनिक वैज्ञानिक भी स्वीकार करते है की हमें विद्या, काल, बल ,ऊर्जा ,द्रव्यमान ,ध्वनि आदि की सही- सही परिभाषा नहीं मालूम है ।
आज के आर्ष गुरुकुल में संस्कृत भाषा की पढाई हो रही है , ना की वेद की । अभी तो ब्राह्मण ग्रन्थ का सरल भाषा में भाष्य ही उपलब्ध नहीं है ।
इस विश्व को बचाना है तो सबसे पहले सभी ब्राह्मण ग्रंथो का सरल भाषा में भाष्य करवाना होगा , फिर उसको सभी आर्ष गुरुकुल में पढ़ना होगा ।
वेद विज्ञान के आधार पर पूर्ण पदार्थ की जानकारी होने पर सभी अविष्कारों से समस्त प्राणिजगत का कल्याण संभव है ।
ब्राह्मण ग्रंथो के भाष्य उपलब्ध होने पर विश्व के सभी शिक्षण संस्थान इसी को पढ़ाएंगे, क्योकि कौन व्यक्ति है जो अधूरा विज्ञान पढ़ना चाहेगा ।
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