आज का वेद मंत्र
ओ३म् न विप्रपादोदककर्दमानि,न वेदशास्त्र ध्वनि गर्जितानि ।स्वाह स्वधाकार विवर्जितानि,शमशान तुल्यानि गृहाणि तानि।।( चाणक्य नीति १२|९)
अर्थ:- जिस घर में ब्राह्मणों के चरण धोने से कीचड़ न हो तथा वेदशास्त्रों की ध्वनि की गर्जना न होती हो और आहुति युक्त स्वाह - स्वधा शब्दों का उच्चारण न होता हो वह घर श्मशान के तुल्य है ।
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