अनमोल वचन
अनमोल वचन
प्रभु भक्ति !
सूख में, दुख में, सभाओं में, वनों में, घर में, परदेश में, पर्वतों में, जंगलों में, दिन में, रात में, सायंकाल में, प्रभातकाल में - हे सुमतियुक्त पाप रहित धीर पुरूषों ! उस परमपुरूष सर्वरक्षक ओ३म् की सदा उपासना करो ।
जो मनुष्य इस संसार में आकर तप अर्थात प्रभु भक्ति नहीं करता वह मनुष्य मानों मरकतमणि निर्मित बर्तन में लशुन को चन्दन के इन्धन से पका रहा है, वह मानों सोने का हल चलाकर आक के बूटे को बोने के लिए भूमि को तैयार कर रहा है और कपूर के टुकड़ों को काटकर खेत के चारों ओर बाड़ लगा रहा है अर्थात जैसे वह मूर्ख है ऐसे ही भक्ति न करने वाला भी मूर्ख है ।
प्रभु भक्ति से ऋषियों ने बुद्धि, यश,कीर्ति, ब्रह्मतेज,और दीर्घायु प्राप्त की हैं। अतः हे मनुष्यों ! तुम भी उस परमपिता परमेश्वर जिसका मुख्य नाम (ओ३म्) है उसकी भक्ति सदा किया करों ।
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