ज्ञानमयी अमृतवाणी
ज्ञानमयी अमृतवाणी
🌷जैसे दूध में मौजूद होते हुए भी घी दिखाई नहीं देता, फूल में गन्ध होती हैं पर दिखाई नहीं देती , हमें अपनी बुराई और दुसरे की भलाई दिखाई नही देती , बीज में छिपा हुआ वृक्ष दिखाई नही देता , शरीर में होने वाली पीड़ा दिखाई नही देती वैसे ही सर्वत्र व्याप्त और विद्यमान रहने वाला परमात्मा भी दिखाई नहीं देता ।
दान देकर जो इसका डंका पीटते हैं, परोपकार का बदला चाहते हैं, पीठ पीछे निन्दा करते हैं, घर आये का अपमान करते हैं बार-बार किसी के यहां जाते रहते हैं, बिना पूछे राय दिया करते हैं, दूसरों की उन्नति देखकर प्रसन्न नही होते, देर सबेर ऐसे लोग अपनी प्रतिष्ठा खो देते है। जो ऋण ग्रस्त नही है वह प्रशन्न है , जो सन्तोषी है वह सुखी है, शोक का कारण मोह है और जिस मार्ग पर महापुरुष चले हो वही सन्मार्ग है।
दान करके उसे गुप्त रखना, घर आये शत्रु का भी सत्कार करना, परोपकार करके कहना नही और दुसरे के उपकार को प्रकट करते रहना, धन वैभव होने पर अभिमान न करना, किसी के पीठ पीछे उसकी निन्दा न करना, अपना दोष बताये जाने पर उत्तेजित न होना और अपने प्रति उपकार करने वाले के प्रति हमेशा क्रतज्ञ रहना -- ये ऐसे सदगुण है जो किसी भी पुरुष को महापुरुष बना देते हैं ।
sarvjatiy parichay samelan, marriage buero for all hindu cast, love marigge , intercast marriage , arranged marriage
rajistertion call-9977987777, 9977957777, 9977967777or rajisterd free aryavivha.com/aryavivha app