उच्चारण करने वालों के 6 गुण
उच्चारण करने वालों के 6 गुण
माधुर्य्यमक्षरव्यक्तिः पदच्छेदस्तु सुस्वरः।
धैर्यं लयसमर्थं च षडेते पाठका गुणाः।।
1. (माधुर्यम्) वर्णों के उच्चारण में मधुरता
2. (अक्षरव्यक्तिः) भिन्न भिन्न अक्षर
3. (पदच्छेदः) पृथक् पृथक् पद
(तु) और
4. (सुस्वरः) सुन्दर ध्वनि
5. (धैर्यम्) धीरता
(च) और
6. (लयसमर्थम्) विराम यथा सार्थकता और जैसा ह्रस्व दीर्घ प्लुत, उदात्त अनुदात्त स्वरित स्वर, स्पर्श आदि आभ्यन्तर और विवारादि [कण्ठ को फैलाकर आदि] बाह्य प्रयत्न से अपने अपने स्थानों में वर्णों का उच्चारण करना तथा सत्यभाषणादि भी वर्णों के उच्चारण करने वालों के गुण हैं।
[स्रोत : महर्षि दयानंद सरस्वती कृत वर्णोच्चारणशिक्षा, पृ. 9, प्रस्तुतकर्ता : भावेश मेरजा]
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