वैदिक विचार
सम्मान प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए अथवा मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी पुण्य कर्म करें।
लोग संसार में मान प्रतिष्ठा तो बहुत चाहते हैं , कुछ लोग मोक्ष को भी चाहते हैं, परंतु इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जो कर्म करना चाहिए , वह नहीं करते।
उन्हें सुख प्राप्ति की इच्छा तो है, परंतु उसका उपाय वे नहीं जानते। कुछ लोग जानते भी हैं, तो वे उसके लिए तपस्या पुरुषार्थ करना नहीं चाहते। यह बात तो सभी जानते हैं कि मुफ्त में कुछ नहीं मिलता, पुरुषार्थ करने से ही फल मिलता है. इसलिए चाहे आप का उद्देश्य धन सम्मान आदि की प्राप्ति हो, चाहे मोक्ष प्राप्ति हो, उसके लिए आपको त्याग तपस्या सेवा परोपकार दान आदि शुभ कर्मों का आचरण तो करना ही होगा।
संसार में बहुत से लोग स्वार्थी हैं, और वे चाहते हैं कि हम अपना स्वार्थ भी पूरा करते रहें, कुछ दान पुण्य आदि शुभ कर्म भी न करना पड़े, और हमें मान प्रतिष्ठा तथा मोक्ष भी मिल जाए। यह तो ईश्वरीय नियमों के विरुद्ध है। ऐसा तो नहीं हो पाएगा।
लोग अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए बहुत सी वस्तुएं धन मकान संपत्ति विद्या आदि का संग्रह करते हैं। परंतु इन संपत्तियों का दान नहीं करते। संसार में स्वार्थ के कारण किसी को सम्मान न तो मिला, और न मिलेगा। उसके लिए तो परोपकार दान आदि शुभ कर्म करने होंगे ।
दान के कारण भूतकाल में भी अनेक लोगों को सुख सम्मान मिला है, आज भी मिलता है, और आगे भी मिलेगा। इसलिए अपने और सब के कल्याण के लिए धन बल विद्या आदि उत्तम वस्तुओं का दान करने का अभ्यास बनाएं।
- स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
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