अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।
अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।
निर्मुलन : हत्या करना पाप है -- बिलकुल ठीक है, किन्तु जो दुष्कर्म करता है,और जो मनुष्य - जाति के लिए हानिकारक है उसे सरकार भी फाँसी की सज़ा सुनाती है। उचित तो यह है कि मक्खी - मच्छरों को घर में आने से रोकने के उपाय करने चाहिए, मक्खी - मच्छरों को घर में आने से रोका जा सकता है, अगर फिर भी जो मच्छर, जीव-जन्तु हानि पहुचाते है उनको मारना ही उचित है। क्योंकि सब योनियो में मनुष्य योनि सर्वश्रेष्ठ है, इसकी रक्षा करना मनुष्य का परम कर्तव्य है।जिससे भी मनुष्य को अपने प्राणों का खतरा है उसको मार डालने में कोई आपत्ति नहीं है। अगर कोई मनुष्य भी मनुष्य जाति के लिए खतरा बन जाता है तो, उसे भी मार डालने में कोई पाप नही है ।
महाभारत में एक श्लोक के द्वारा समझाते हुए कहा गया है कि --
" अहिंसा परमो धर्म, धर्म हिंसा तदैव च। " अर्थात अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है। किन्तु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उससे भी श्रेष्ठ है। क्योंकि शरीर से ही धर्माधर्म के कार्य होते हैं -- आत्मा कभी नहीं मरता। असुरों, राक्षसों, आतंकवादियों को मारने में कोई पाप नही है -- यह तो पुण्य का कार्य है, नहीं तो दुश्मन के हाथों स्वयं की जान को गँवाना कहाँ कि समझदारी है ?
वैसे जीव- जन्तु, मक्खी - मच्छर, साँप - बिच्छू इत्यादि जीव भी ईश्वर के बनाये हुए है और इनको मारने का हमें कोई अधिकार भी नहीं बनता, परन्तु जब ये जीव मनुष्य को हानि पहुचाते हैं तो इनका सफ़ाया करना ही उचित है, इसको आपातधर्म भी कहते हैं अर्थात ये धर्म के विरुद्ध तो है, पर इसके अलावा कोई रास्ता भी नहीं है ।
घर में तोते, कबूतर चिड़िया इत्यादि पक्षी आते हैं तो हम उनको बड़े प्यार से देखते हैं, मारते नहीं, उनको मारने का तनिक भी विचार नहीं आता, क्योंकि उनसे हमें कोई हानि नही होती । अतः जिससे मनुष्य को कोई हानि नही होती उन जीवों को मारना पाप है जैसे -- कुत्ता , घोडा, बकरी, गाय, भैंस इत्यादि ।शेर जंगल में रहता है परन्तु अगर वह शहर की ओर आ जाएँ, और लोगों पर हमला करने लगे तो उसे मार डालने में ही भलाई है ।
जितना हो सके मक्खी - मच्छर इत्यादि जीवों की हत्या न करके, घरों में उनके प्रवेश पर रोक लगा दे।व्यर्थ की हत्या न करके, इनसे बचने के उपाय करने से ही हम पाप से भी बच सकते है ।
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