पाकिस्तान और कोरोना वैक्सीन
आज पूरी दुनिया कोरोना वैक्सीन का इन्तजार कर रही है। परंतु यह जानकार आश्चर्य हुआ कि कोई भी पाकिस्तान से कोरोना वैक्सीन बनाने की उम्मीद क्यों नहीं कर रहा। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान 22 करोड़ का जम्हूरियत ( Democracy) है। एटमी ताकत से सजी हुई इतनी बड़ी फौज है। 56 इस्लामिक देशों को सरपंची का दम भरता है।
कारण इतिहास मे छुपा है।
जनरल जिया उल हक को यह इलहाम हुआ कि पाकिस्तान में लोगों का साइंस के प्रति लगाव कुछ कम है। आज दुनिया में जहाँ नयी-नयी खोज हो रही हैं, बड़े-बड़े शोध हो रहे हैं, प्रत्येक देश जहाँ ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। वहीं पाकिस्तान में विज्ञान के क्षेत्र में ढेले भर की भी प्रगति नहीं हुई है। इसलिए पाकिस्तानी अवाम में विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाने एवम् पाकिस्तानियों को विज्ञान से रूबरू कराने के लिए 1973 में एक बहुत बड़ी साइंस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसमें पाकिस्तान और दुनिया भर के इस्लामिक मुल्कों से आये साइंसदान इस्लामाबाद में इकट्ठे हुए। दूसरी 1987 में होने वाली इस्लामिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉन्फ़्रेंस जिसका आधा खर्चा यानी चार लाख डॉलर सऊदी सरकार ने दिया.
दोनों कॉन्फ़्रेंसों में पाकिस्तान और दूसरे मुस्लिम देशों के वैज्ञानिकों ने सौ से अधिक साइंटिफ़िक पेपर पढ़े। कई दिनों तक यह विज्ञान सम्मेलन चला। अनेकों शोध पत्र पढ़े गए। इसमें से कुछ शोध इस प्रकार हैं ....
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●पाकिस्तान काउंसिल ऑफ साइंस एंड रिसर्च डेवलॉपमेन्ट के एक डॉक्टर अरशद अली बेग ने किसी समाज में छल-कपट की मात्रा कितनी है ?
... यह नापने का एक अचूक फार्मूला बताया।
उन्होंने बताया कि पश्चिम के देशों में छल-कपट की मात्रा बहुत अधिक है लेकिन पाकिस्तान में बहुत ही कम है। कारण है कि पाकिस्तान एक इस्लामिक मुल्क है। इस्लाम की वजह से पाकिस्तानी समाज में छल-कपट न्यूनतम स्तर पर है।
●पाकिस्तानी डिफेंस साइंड एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट के एक डॉक्टर सफदर जंग साहब ने अपने वर्षों तक किये गये अपने अनुसंधान के आधार पर बताया ....
कि आग से बने जिन्न भी हमारे आस-पास ही रहते हैं ...मगर उनसे धुआँ नहीं निकलता।
धुआँ इसलिए नहीं निकलता क्योंकि उनका जिस्म मीथेन गैस से बना हुआ होता है।
●पाकिस्तान नेशनल एटॉमिक एनर्जी कमीशन के एक साइंसदान जनाब बशरूद्दीन महमूद ने वर्षों तक किये गये कड़े अनुसंधान पर कहा कि जिन्न चूँकि आग से बने हुए होते हैं ....
इसलिए उन्हें किसी तरह काबू कर लिया जाए ....
तो उनकी एनर्जी से भारी तादात में बिजली पैदा की जा सकती है।
●डिफ़ेंस साइंड एंड टेक्नोलॉजी के डॉक्टर सफ़दर जंग राजपूत ने बड़े अनुसंधान के बाद साबित किया कि मांस से बने इंसान के साथ-साथ आग से बने जिन्न भी हमारे आज़ू-बाज़ू रहते हैं मगर उनसे धुआं इसलिए नहीं निकलता क्योंकि उनका जिस्म मीथेन गैस से बना है.
●सऊदी अरब साइंस एंड टेक्नोलॉजी डेवलोपमेन्ट डिपार्टमेंट से पधारे वैज्ञानिक अब्दुल हसन अल अज्जाम ने बताया कि नासा झूठ बोलता है ....
कि पृथ्वी गतिमान है और सूर्य के चारो चक्कर लगा रही है ....
.... जबकि है इसका उल्टा। सच यह है कि पृथ्वी स्थिर है और सूर्य पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगा रहा है।
●मिश्र की राजधानी काहिरा स्थित अल अज़हर यूनिवर्सिटी के एक साइंसदान मोहम्मद मुतालिब ने तो आइंस्टीन की रिलेटिविटी थ्योरी को ही एकदम बकवास करार दे दिया। उन्होंने बताया कि असल में पृथ्वी अपने भ्रमण पथ पर इसलिए ठीक-ठीक तरीके से घूम रही क्योंकि पहाड़ों ने पृथ्वी के सीने पर पैर जमा के रखे हैं जिससे उसका संतुलन बना हुआ है वरना अगर पहाड़ उड़ जाएं तो पृथ्वी भी अंतरिक्ष में सूखे पत्ते के जैसे उड़ने लगेगी और अंतरिक्ष में आवारा उड़ते हुए कहीं दूर भटक जाएगी।
सबसे आखिर में इस्लामिक मुल्कों से आये सभी साइंसदान इस बात पर एकमत हो गए कि इस्लामिक मुल्कों में विज्ञान खूब फल-फूल रहा है, तरक्की कर रहा है और कुरान एक विज्ञान सम्मत किताब है।
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ऐसा पाकिस्तान की युनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले जानेमाने वैज्ञानिक परवेज हुडबॉय भी मानते हैं कि विज्ञान की पुस्तकों मे भी इस्लाम को मिक्स किया गया है।
पाकिस्तान में नवीं-दसवीं के छात्र फिजिक्स और कैमेस्ट्री की किताब में क्या पढ़ रहे हैं, एक नजर डाल लीजिए--
-दोजख (नर्क) का तापमान कितना हो सकता है.
-नमाज से मिलने वाले पुण्य) को कैसे नापा जाए.
-जब पैगंबर मोहम्मद को अल्लाह ने ज्ञान दिया तो उन्हें -सबसे पहले जन्नत (स्वर्ग) के बारे में बताया गया.
-इल्म (ज्ञान) हांसिल करना मर्दों के लिए जरूरी है, क्या ये इस्लाम का बुनियादी उसूल है.
. पाकिस्तान सरकार द्वारा स्कूल के लिए छपवाई जाने वाली साइंस की किताब के लिए एक कानून है. वह कानून कहता है कि साइंस की हर किताब के पहले चैप्टर में यह बात साफ-साफ लिखी होनी चाहिए कि किस तरह अल्लाह ने इस दुनिया को बनाया है और कैसे मुसलमानों और पाकिस्तानियों ने साइंस का इजात (आविष्कार) किया है.
पाकिस्तान में यह ऐसी सोच और शिक्षा का ही नतीजा है कि सीमापार से भारत में घुसे आतंकियों से जब सुरक्षाबल ने जानना चाहा कि वह भारत से इतनी नफरत क्यों करते हैं कि अपना सबकुछ गंवा कर वह दहशत फैलाने के लिए सरहद पार चले आए. सवाल के जवाब में एक आतंकी ने कुबूला कि उसे मालूम है कि भारत ने अपनी सीमा से पाकिस्तान जाने वाली सभी नदियों में से बिजली निकाल ली है और इसके चलते पाकिस्तान तरक्की नहीं कर पा रहा है और वहां के गांव अंधकार में डूबे हैं.
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