महृषि दयानन्द जी एक महान वैज्ञानिक ( ऋषि ,योगी )
महृषि दयानन्द जी एक महान वैज्ञानिक ( ऋषि ,योगी )-
विज्ञान की परिभाषा - पदार्थ को कर्म ,प्रयोग -परिक्षण -प्रेक्षण ,उपासना से ज्यों का त्यों जानकर उसका इस तरह उपयोग हो जिससे समस्त प्राणिजगत का कल्याण हो उसी को विज्ञान कहा जाता है। जो इस तरह का अनुसन्धान करता है उसको वैज्ञानिक कहते है।
मानव जीवन को स्वस्थ ,धन ऐश्वर्ययुक्त ,सुखी रहने का मूल आधार विज्ञान है। यदि मानव जीवन में विज्ञान नहीं होगा, तो वह रोगी , धनहीन , दुःखी रहेगा। वैदिक परम्परा में सभी को स्वस्थ ,धन ऐश्वर्ययुक्त ,सुखी रहने रहने के लिए वैज्ञानिक ( ऋषि ,योगी ) बनना अनिवार्य शर्त है , ये परम्परा महाभारत में वैज्ञानिको ( ऋषियो ,योगी ) के मारे जाने के पश्चात् कम होते -होते सन १८३५ तक लगभग ख़त्म हो गयी थी , और विज्ञान के नाम पर १८ पुराण में वेद विरुद्ध मिलावट करके पशुबलि ,नरबलि ,पाखंड शुरू हो रहा था।
हजारो वर्षो बाद इस भूमि पर महृषि दयानन्द जी एक महान वैज्ञानिक ( ऋषि ,योगी ) हुए , उन्होंने वेद से विज्ञान को समझा और फिर जो विज्ञान के नाम पर पोपलीला चल रही थी उसको समाज को बताना शुरू किया। जब इन पोपलीला वालो की पोपलीला खुलने लगी तभी इन पोपलीला वालो ने महृषि की हत्या करवा दी, उनकी हत्या के बाद फिर महृषि दयानन्द जी का कार्य अधूरा ही रह गया।
वर्तमान में महृषि दयानन्द जी की मृत्यु के बाद वेद के विज्ञान को १७० वर्षो बाद फिर एक महान वैज्ञानिक ( ऋषि ,योगी ) अग्निव्रत नैष्ठिक जी ने समझा है ,जो उन्होंने उस वेद के विज्ञान को उनके अमर ग्रन्थ वेद विज्ञान -आलोक में प्रस्तुत कर दिया है।
आज जिस आधुनिक विज्ञान (अज्ञान ) ने सभी मत -मजहब ,पन्थियो के साथ -साथ शुद्ध वायु , शुद्ध मिटटी ,शुद्ध जल को भी निगल लिया है, और अब प्राणिजगत के जीवन पर भी संकट पर संकट खड़ा कर दिया है , उस आधुनिक विज्ञान की पोपलीला, महान वैज्ञानिक अग्निव्रत नैष्ठिक जी ने खोल दी है।
मानव बनकर अपने जीवन को स्वस्थ ,धन ऐश्वर्ययुक्त ,सुखी रहने के लिए पढ़े - वेद विज्ञान -आलोक: एवं ऋषिकृत हिंदी भाष्य किये गए -वेद ।
राकेश उपाध्याय
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