मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन आदर्शों एवं पावन स्मृति को सादर नमन
“मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन आदर्शों एवं पावन स्मृति को सादर नमन”
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम वैदिक धर्म एवं संस्कृति के आदर्श हैं। उनका जीवन एवं कार्य वैदिक धर्म की मर्यादाओं के अनुरूप हैं एवं संसार के सभी लोगों के लिए अनुकरणीय हैं। भगवान राम ने अपने आदर्श जीवन एवं व्यवहार से संसार के लोगों को धर्म एवं मर्यादाओं का पालन करने का पावन सन्देश वा उपदेश दिया है। हमारा उद्देश्य उनके जीवन से प्रेरणा लेने सहित उनके अनुरूप अपना जीवन बनाना ही है। राम आदर्श ईश्वर भक्त, आदर्श पुत्र, आदर्श राजा, आदर्श मनुष्य, आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श मित्र तथा आदर्श शत्रु थे। वह धर्म के साक्षात् आदर्श पुरुष थे। उनके जैसा जीवन बनाना व उनके अनुरूप जीवन व्यतीत करना किसी भी मनुष्य के लिये सरल व सम्भव नहीं है। इसके लिये बहुत अधिक अनुशासित एवं संयमित जीवन व्यतीत करना पड़ता है। इच्छाओं को मारना एवं अपने सुखों को त्यागना पड़ता है जो कि सब मनुष्यों के लिये सम्भव नहीं है। आर्य हिन्दू जाति का सौभाग्य है कि उसके पास भगवान राम के रूप में ऐसा आदर्श ऐतिहासिक जीवन उपलब्ध है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवनीकार महर्षि बाल्मीकि जी भी हमारे श्रद्धास्पद एवं पूजनीय हैं। उन्होंने रामचन्द्र जी का संस्कृत में काव्यमय इतिहास व जीवन चरित्र ग्रन्थ लिखकर विश्व व मानव जाति का महान उपकार किया है। लाखों वर्ष से देशवासी उनके जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर धर्म का पालन करते आ रहे हैं और भविष्य में सृष्टि की प्रलय तक उनका यश इससे भी अधिक विद्यमान रहेगा, ऐसी आशा हमें करनी चाहिये। यह हमारे अपने जीवन व त्यागपूर्ण कार्यों पर निर्भर करेगा। हमें उनका अनुकरण कर उनको सदा जीवित तथा प्रासंगिक रखना है। देशवासियों को बाल्मीकि रामायण के अनुरूप रामचन्द्र जी के जीवन का देश में अधिक से अधिक प्रचार करना चाहिये। युवा पीढ़ी को स्वामी जगदीश्वरानन्द सरस्वती द्वारा सम्पादित प्रक्षेपों से रहित बाल्मीकि रामायण व महाभारत ग्रन्थों का अध्ययन करने सहित दूसरों को इसकी प्रेरणा करनी चाहिये। इससे हमारा धर्म, संस्कृति व गौरवमय इतिहास सुरक्षित रहेगा और मानव जाति इससे प्रेरणा ग्रहण कर अपने जीवन को श्रेय मार्ग पर चलाकर अपनी आत्मा व जीवन की उन्नति करने में समर्थ होंगी।
महाभारत के बाद भारत में आर्य जाति के आलस्य व प्रमाद के कारण वैदिक धर्म एवं संस्कृति के प्रचार एवं पालन में में कुछ न्यूनतायें व शिथिलतायें हुईं जिससे अविद्या का विस्तार होकर धर्म की मान्यताओं एवं सिद्धान्तों में कुछ विकृतियां उत्पन्न हुईं। कालान्तर में यह वृद्धि को प्राप्त होती रहीं। इस अवधि में न तो राम, न कृष्ण और न ही दयानन्द जी जैसा कोई महापुरुष देश में उत्पन्न हुआ जो इन विकृतियांे को दूर करता। सौभाग्य से महाभारत युद्ध के पांच हजार वर्ष बाद हमें वेदों का सच्चा ज्ञानी, सच्चा योगी, ईश्वर का सच्चा उपासक तथा मानव जाति का सच्चा अपूर्व हितैषी धर्म पालक व धर्म रक्षक महापुरुष व महात्मा ऋषि दयानन्द हमें मिला। इस महापुरुष ने आर्य जाति की विगत पांच हजार वर्षों की भूलों को दूर कर वेदों का उद्धार किया और वेदों के सत्य अर्थों का प्रचार करने सहित समाज में विद्यमान सभी अन्धविश्वासों, पाखण्डों तथा कुरीतियों को दूर करने का अभूतपूर्व कार्य किया। उनके वैदिक धर्म प्रचार तथा अविद्या निवारण कार्यों का ही परिणाम है कि आज हमारे वृहद देश का कुछ भाग स्वतन्त्र होकर अनेक क्षेत्रों में उन्नति कर रहा है और आज यह विश्व का एक शक्तिशाली राष्ट्र है जिसको न तो कोई डरा सकता है न झुका सकता है। हमारी वर्तमान स्थिति के लिये हमारे देश के प्रधानमंत्री, जो वैदिक धर्म एवं संस्कृति को मानते हैं, उनका विराट व्यक्तित्व एवं त्याग भावना से किये जाने वाले उनके देशहित के कार्य हैं। उनके नेतृत्व में देश निरन्तर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने देश में अनेक नई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर इस देश के निर्बल एवं निर्धन लोगों पर भी महान उपकार किया है और साथ ही देश के संसाधनों व धन की जो लूट आजादी के बाद से निरन्तर चल रही थी, उस पर भी रोक लगाने में सफलता प्राप्त की है।
श्री नरेन्द्र मोदी जी के जीवन का एक महत्वपूर्ण कार्य यह भी रहा है कि पांच सौ वर्ष से अटकी व लटकी समस्या, जो समय के साथ जटिल होती जा रही थी, उसका आर्य हिन्दू जाति के हित व इच्छाओं के अनुरूप समाधान कराने में भी सफलता प्राप्त की। श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज रामजन्म भूमि अयोध्या हमें प्राप्त हुई है जहां उनके गौरव व आदर्शों के अनुरूप एक भव्य एवं विशाल स्मारक व मन्दिर, जैसा विश्व में वर्तमान में कहीं नहीं है, बनाये जाने का आज दिनांक 5-8-2020 को उन्हीं के कर कमलों से आरम्भ हो रहा है जिससे समस्त देश आह्लादित एवं आनन्दित है। भगवान राम व रामजन्म भूमि मन्दिर के अनेक विरोधी भी आज विवश होकर बदले सुरों में दिखाई दे रहे हैं। यह सब देश के नेता नरेन्द्र मोदी व आर्य हिन्दू जाति की देश व संस्कृति में अनन्य भक्ति एवं विश्वास सहित धर्म के लिये अनेकानेक बलिदानों के कारण सम्भव हुआ है। आज के इस गौरवपूर्ण दिवस पर हम अपने सभी देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनायें देते हैं और इसमें निहित सन्देश की ओर ध्यान दिलाना भी चाहते हैं कि यदि हम अन्धविश्वासों व अविद्या से मुक्त होकर व संगठित होकर अपने धर्म एवं संस्कृति का प्रचार करेंगे और उस पर आरूढ़ रहेंगे तो हम किसी भी जटिल व कठिन समस्या का समाधान कर व करा सकते हैं। इससे शिक्षा लेकर हमें भविष्य में भी सुसंगठित होकर देश, धर्म एवं संस्कृति के उन्नयन के कार्यों को करना है। हमारा कर्तव्य एवं दायित्व हैं कि हम ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद का अध्ययन व अध्यापन करें, उसका प्रचार व प्रसार करें जिससे हम व हमारी आने वाली पीढ़ियां ही नहीं अपितु विश्व के सभी लोग लाभान्वित हो सकें।
हमें लगता है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का रामजन्म भूमि पर अन्तिम निर्णय आने पर ही देश के कुछ लोगों ने मर्यादा पुरुषोत्तम रामचन्द्र जी को जो वनवास दिया था, वह दूर हुआ है और अब उनके जन्म स्थान पर एक भव्य स्मारक व मन्दिर के निर्माण से रामराज्य रूपी नये युग का शुभारम्भ हो रहा है। आज ऐसा लग रहा है कि सारा देश रामभक्ति में विलीन हो गया है। ये सुखद क्षण हमें आर्य हिन्दू जाति के संघर्ष एवं बलिदान सहित रामजन्म भूमि आन्दोलन में विश्व हिन्दू परिषद एवं भारतीय जनता पार्टी के खुले समर्थन एवं सहयोग के कारण देखने को मिल रहे हैं। समस्त देशवासियों को रामजन्म भूमि में सहयोगी रहे सभी व्यक्तियों, नेताओं एवं संगठनों व दलों का भी इस अवसर पर धन्यवाद करना चाहिये। हम आर्यसमाजी मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चित्र व मूर्ति की पूजा भले ही नहीं करते परन्तु हम उनके आदर्श चरित्र सहित उनके आदर्श जीवन तथा इतिहास प्रसिद्ध कार्यों से प्रेरणा तो लेते ही हैं। अतः आज का दिन हमारे लिये भी अत्यन्त महत्व, गौरव एवं उत्सव का है। हम भी आज के दिवस के आन्दोत्साह में पूरी भावनाओं एवं प्रसन्नता के साथ सम्मिलित हैं। आज के कार्यक्रम को भव्य रूप देने में उत्तर प्रदेश के यशस्वी एवं आदर्श मुख्यमंत्री श्री आदित्य नाथ योगी जी का भी महत्वपूर्ण योगदान है। वह भगवान राम के भक्त होने सहित ऋषि दयानन्द एवं उनके सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के भी प्रशंसक हैं। हम उनको भी इस सुखद अवसर पर स्मरण कर उनके योगदान की भी सराहना करते हैं। ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि देश देशान्तर में राम, कृष्ण एवं दयानन्द जी की भावनाओं एवं प्रयत्नों के अनुरूप वेद, ईश्वर एवं वैदिक संस्कृति का प्रचार प्रसार हो। सारा संसार ईश्वरमय, वेदमय तथा राम-कृष्णमय हो जाये, ऐसी हमारी इच्छा है। आज रामजन्म भूमि पर निर्माणार्थ रामजन्म मन्दिर के शिलान्यास पर देशवासियों को कोटि कोटि शुभकामनायें एवं बधाई। ओ३म् शम्।
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-मनमोहन कुमार आर्य