हमारे विचार वेद या सिद्धांत आधारित ही होना चाहिए

हमारे विचार वेद या सिद्धांत आधारित ही होना चाहिए


आप सभी को मेरा नमस्ते।
  हम सनातन वैदिक धर्म के अनुयायी है,जो सार्वभौमिक सार्वकालिक,न्याय- सिद्धांत, विज्ञान आधारित है।यदि हमारे विचार और लिए गए निर्णय,  सिद्धांत आधारित द्रढ होंगे तो कभी हमसे त्रुटि या भूल होने की गुंजाइश नही रहती है। किसने कब और किस पद पर रहते?क्या कहा?यह कुछ भी महत्व नही रखता है।वह कितना सम्पन्न, शक्तिशाली,और प्रतिष्ठित है,यह भी महत्वपूर्ण नही। है। उसके किए कथनों,कार्यों का परिणाम क्या रहा?और वह देश,समाज, दुनिया के कितना हित में कितने उचित साबित है? वह किस भाव, उद्देश्य से किए गए? महत्वपूर्ण यही होता है।
 महात्मा गांधी,राजीव दीक्षित हों या कोई और हों।इस धरती पर जन्म लेने वाले सभी अल्पज्ञ  मनुष्य ही थे, सर्वज्ञ,सर्वशक्तिमान ईश्वर कोई नही हो सकता है। हम  कभी पूर्णतः को प्राप्त नही हो सकते है,लेकिन हमें ईश्वर के दिव्य गुणों को धारण करने के लिए सदैव प्रयासरत रहना ही चाहिए।हमारे सभी कथन,कार्य निर्णय सदा शतप्रतिशत सही नही हो सकते है।श्रीराम,श्री क्रष्ण महर्षि दयानंद जी मैरे आदर्श है और सदा रहेंगे भी,लेकिन मेरा मनुष्य होना तभी सार्थक है,जब मैं किसी के भी कथनों,कार्यों को आंख मूंद कर स्वीकार न करूं? जब कोई भी मनुष्य असीम ब्रह्मांड में एक केवल एक समय में एक ही स्थान,एक दिशा में रह सकता है तो वह सभी जगह,सभी दिशाओं के घटनाक्रमों का साक्षी कैसे हो सकता है? हम एक समय में दो स्थानों पर भी नही हो सकते है। किसी के भी द्वारा जितना सही व सत्य किया व कहा गया है,वही मान्य करता हू। कमियां तो मुझ में भी हैं और रहेंगी भी।गांधी जी,राजीव दीक्षित जी व हर जन्म लेने वाले व्यक्ति में थी। पूर्ण सिर्फ ईश्वर है,कोई भी मनुष्य पूर्णतः को प्राप्त कभी नही कर सकता है। हम 98-99 फीसदी तक सही हो सकते है,शतप्रतिशत कभी नही हो सकते है।.यह अटल सिद्धांत है। यदि आपकी सोच विज्ञान, न्याय-सिद्धांत,धर्म आधारित है,तो आप काफी हद तक सही हो सकते है।व्यक्ति, घटना, स्थान, काल, दिशा, पद,संगठन आधारित है,तो आप सौ फीसदी ही गलत है। वेद ज्ञान जगत का आद्वितीय, अतुलनीय ज्ञान इसलिए है,क्योंकि वह इन सभी मानदंडों पर आश्रित नही है।गांधी जी पर राजीव जी द्वारा कहे कथनों से मैं सौ फीसदी सहमत नही हू। वह संघ और रामदेव से जुड़े रहे है। इसलिए संगति का प्रभाव अवश्य होता है,इसका यह भी अर्थ नही की मैं गांधी जी के शतप्रतिशत विचारों का समर्थक हू। यह सब महापुरुष है,इनका सम्मान अवश्य करता हूं। जिसने भी जितना सही कहा,जितना सही किया उसका समर्थन ही करता हू और गलत लगने वाले कार्यों ,कथनों से असहमत भी रहता हू।।संतोषस़िह


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