समय का प्रबंधन. Time Management. कार्य की भी सीमा होती है
समय का प्रबंधन. Time Management. कार्य की भी सीमा होती है और समय की भी। समय का पूरा लाभ उठाएँ। अस्त व्यस्त न बनें, व्यवस्थित बनें।
समय का प्रबंधन, जिसे अंग्रेजी में कहते हैं टाइम मैनेजमेंट, बहुत बड़ी कला है यह। इसे सब लोग नहीं जानते। इसलिए उनके काम बिगड़ते रहते हैं, या अच्छे स्तर के नहीं बन पाते। यह कला अवश्य सीखनी चाहिए।
समय का प्रबंधन कैसे करें? जैसे कि -- अपने कार्यों की सूची (लिस्ट) बनाएं कि आपको कौन-कौन से काम करने हैं। कौन से काम आज करने हैं, कौन से कल भी किए जा सकते हैं, किन कामों को 1 सप्ताह बाद भी कर सकते हैं, कुछ काम 2 महीने बाद, कुछ 6 महीने बाद भी किए जा सकते हैं। इस प्रकार से अपने कार्यों की प्राथमिकता निर्धारित करें।
दिनभर के कार्यों में भी ऐसी ही व्यवस्था बनाएँ। अपना 24 घंटे का टाइम टेबल कागज पर लिखें। किस समय आप रात्रि को सोएंगे, (10:00 / 10:30 या अधिकतम 11:00 बजे तक). सुबह कितने बजे उठेंगे, (लगभग 4:00 / 4:30 या 5:00 बजे तक।) फिर शौचादि, व्यायाम स्नान संध्योपासना यज्ञ स्वाध्याय, आदि करना। फिर नाश्ता आदि करके अपने कार्य व्यवसाय पर जाना। इसी प्रकार से शाम को घर लौटकर फिर नहा धोकर अथवा मुंह हाथ धो कर, (फ्रेश होकर) सायं कालीन उपासना करना, भोजन करना, घर के सदस्यों के साथ बैठकर एक-आध घंटा चर्चा करना। बच्चों की दिनचर्या पूछना, उन्हें कुछ धार्मिक और नैतिक शिक्षा देना। उनकी समस्याएं सुलझाना। कुछ थोड़ा मनोरंजन भी कर लेना। और रात्रि 10:00 / 10:30 या अधिकतम 11:00 बजे तक सो जाना, इत्यादि प्रकार से जब आप समय का विभाजन करेंगे, तो आपके लगभग सभी काम ठीक समय पर उत्तम क्वॉलिटी के हो जाएंगे। और आपकी यह समस्या नहीं रहेगी कि मेरा यह काम रह गया, वह काम रह गया, मेरा काम पूरा नहीं हो पाया।
अपने कार्य की भी सीमा रखें। बहुत अधिक काम अपनी जिम्मेदारी पर न लें। सीमित काम को सीमित समय में पूरा करें। व्यापार व्यवसाय नौकरी आदि के लिए एक दिन में 8 घंटे से अधिक समय न देवें। उस दिन काम बच जाए, तो उसे अगले दिन करें। कभी-कभी कुछ लोग आवश्यक कार्यों के लिए अथवा कोई व्यक्ति उनसे कुछ समय माँगने आए, तो भी ऐसा कहते हैं, मेरे पास समय नहीं है, मैं बहुत व्यस्त हूं। कभी-कभार ऐसा हो तो ठीक है, चलेगा। अथवा कोई व्यक्ति उनका समय नष्ट करता हो, तो भी उसे ऐसा उत्तर दिया जा सकता है, तब भी चलेगा।
परंतु यदि कोई व्यक्ति हमेशा ही ऐसा कहे, कि मैं व्यस्त हूं। मैं आपके लिए समय नहीं निकाल सकता। तो समझ लीजिएगा, वह अव्यवस्थित है। उसका समय प्रबंधन ठीक नहीं है। वह व्यस्त नहीं है, बल्कि अस्त-व्यस्त है।
- स्वामी विवेकानंद परिव्राजक
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